Long Range Air Defence: भारत आने वाले समय में साल 2028-2029 तक लंबी दूरी वाले एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय रूप से तैनात करने की योजना बना रहा है. ये डिफेंस सिस्टम 350 किमी. से भी ज्यादा दूरी तक आने वाले स्टील्थ फाइटर्स, एयरक्राफ्ट, ड्रोन, क्रूज मिसाइल्स और सटीक निर्देशित हथियारों का पता लगाकर उन्हें नेस्तनाबूत करने की क्षमता रखता है.


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि प्रोजेक्ट कुशा के तहत डीआरडीओ स्वेदशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एलएम-एसएएम) सिस्टम विकसित कर रहा है. ये प्रोजेक्ट इंटरसेप्शन कैपिबिलिटी से जुड़ा हुआ है. सिस्टम की अगर बात करें तो ये हाल ही में शामिल किए गए रूसी एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम की तरह होगा.


खास होगा एयर डिफेंस सिस्टम


मई 2022 में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की ओर से "मिशन-मोड" परियोजना के रूप में एलआर-एसएएम प्रणाली के विकास को मंजूरी देने के बाद रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने 21,700 करोड़ रुपये की लागत से भारतीय वायुसेना के लिए इसके पांच स्क्वाड्रन की खरीद के लिए स्वीकृति (एओएन) दी थी. लंबी दूरी की निगरानी वाले मोबाइल एलआर-एसएएम में अलग-अलग तरह की इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी जो 150 किमी, 250 किमी और 350 किमी की दूरी पर दुश्मनों को मारने के लिए डिज़ाइन की गई हैं.


डीआरडीओ ने क्या कहा?


डीआरडीओ के मुताबिक, इसका उद्देश्य रणनीतिक और सामरिक रूप से कमजोर क्षेत्रों को व्यापक वायु रक्षा कवर प्रदान करना है. एलआर-एसएएम कम-रडार क्रॉस-सेक्शन वाले उच्च गति वाले लक्ष्यों के खिलाफ भी प्रभावी होगा. इसे 250 किलोमीटर की दूरी पर लड़ाकू आकार के लक्ष्यों को मार गिराने के लिए तैयार किया जाएगा, जिसमें AWACS (हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली) और मध्य हवा में ईंधन भरने वाले बड़े विमानों जैसे बड़े विमानों को 350 किलोमीटर की दूरी पर रोक दिया जाएगा.


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