Supreme Court on Independence Day: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना (NV Ramana) ने सोमवार को कहा कि संवैधानिक विश्वास को बनाए रखना कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तीनों का काम है. सीजेआई (CJI) ने यहां उच्चतम न्यायालय परिसर (Supreme Court) में 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्र ध्वज फहराने के बाद संविधान के अनुच्छेद 38 में उल्लेखित राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का जिक्र किया.


उन्होंने कहा कि राज्य की जिम्मेदारी है कि वह एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था कायम करे, जिसमें लोगों को ''सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक'' रूप से न्याय मिले. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि संवैधानिक ढांचे के तहत, प्रत्येक अंग को एक दायित्व दिया गया है, और भारतीय संविधान का अनुच्छेद 38 इस धारणा को दूर करता है कि न्याय देना केवल अदालतों की जिम्मेदारी है. इसके तहत राज्य के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुरक्षित करना अनिवार्य है.


'लोगों का कोर्ट के ऊपर अपार विश्वास'
सीजेआई एन. वी. रमना ने कहा कि राज्य के तीनों अंग कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका संवैधानिक विश्वास को बरकरार रखने के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं. सीजेआई ने कहा कि शीर्ष अदालत नागरिकों के विवादों का समाधान करती है और वे जानते हैं कि चीजें गलत होने पर वह उनके साथ खड़ी होगी. उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली लिखित संविधान के प्रति वचनबद्धता पर चलती है और लोगों को इस पर अपार विश्वास है. 


सुप्रीम कोर्ट संविधान की रक्षक
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि लोगों को विश्वास है कि उनको न्यायपालिका से राहत और न्याय मिलेगा. यह उन्हें विवाद का समाधान प्रदान करती है. वे जानते हैं कि जब चीजें गलत होंगी, तो न्यायपालिका उनके लिए खड़ी होगी. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक है.


उन्होंने कहा कि हमारी न्यायिक प्रणाली (Judicial Process) न केवल लिखित संविधान और इसकी भावना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की वजह से बल्कि इस प्रणाली में लोगों द्वारा व्यक्त किए गए अपार विश्वास के कारण भी अद्वितीय है. कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू (Kiren Rijiju), सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह और सॉलिसिटर तुषार मेहता (Tushar Mehta) भी मौजूद थे.


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