PM Narendra Modi Lal Qila Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राजधानी दिल्ली स्थित लाल किले की प्राचीर से नौवीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया और देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं. स्वतंत्रता दिवस तो भारत के लिए हमेशा से खास है लेकिन इस बार यह इसलिए भी अहम है क्योंकि देश ने आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं. 


आज लाल किले से पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें-



  1. पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत देशवासियों के बाधाई और शुभकामनाएं देने के साथ की. पीएम मोदी ने लाल किले से कहा, ''मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं.'' उन्होंने आदगे कहा- न सिर्फ हिंदुस्तान का हर कोना, लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वाला विश्व के हर कोने में ये हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है.

  2. हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो. आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है. आज का ये दिवस ऐतिहासिक है. एक पूण्य पड़ाव, एक नई राह , एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है. देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी. आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले भी  अनेक महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है.

  3. अमृत महोत्सव के दौरान  देशवासियों ने देश के हर कोने में लक्ष्यावधि कार्यक्रम किये. शायद इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्सव मनाया गया हो. वो शायद एक पहली घटना हुई है. हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था. आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया.

  4. आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो  पिछले 75 साल में देश के लिए जीने-मरने वाले, देश की सुरक्षा करने वाले, देश के संकल्पों को पूरा करने वाले चाहे सेना के जवान हों,पुलिसकर्मी हों, जन प्रतिनिधि हों, स्थानीय स्वराज की संस्थाओं के प्रशासक रहे हों.

  5. पीएम मोदी ने कहा कि हमें अंग्रेजों के जैसे दिखने की जरूरत नहीं है, गुलामी की मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है. पीएम ने कहा कि जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे तभी तो ऊंचा उड़ेंगे और विश्व को समाधान देंगे. दुनिया आज भारत से प्रभावित हो रही है. हम वो लोग हैं जो प्रकृति के साथ रहना जानते हैं. ग्लोबल वार्मिंग की समस्या हल हमारे पास है.

  6. संकल्प बड़ा था तो हम आजाद हो गए, संकल्प छोटा होता तो आज भी संघर्ष कर रहे होते. 75 साल में आज इन सबको और देश के कोटि-कोटि नागरिकों को, जिन्होंने 75 साल में अनेक कठिनाइयों के बीच भी देश को आगे बढ़ाने के लिए अपने से जो हो सका, वो करने का प्रयास किया है, को स्मरण करने का दिन है.

  7. कोरोना के कालखंड में दुनिया वैक्सीन लेने या न लेने  की उलझन में जी रही थी. उस समय हमारे देश लोगों ने 200 करोड़ डोज लेकर दुनिया को चौंका देने वाला काम करके दिखाया. आजादी के इतने दशकों बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है विश्व, भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा हैसमस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है. 

  8. आने वाले 25 साल के लिए हमें 'पंच प्रण' पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा. अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं. जिस प्रकार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है. भारत की धरती से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है. 

  9. आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है. इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है. हमने देखा है कि कभी कभी हमारे टैलेंट भाषा के बंधनों में बंध जाते हैं. ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है. हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए. 

  10. हम वो लोग हैं, जो जीव में शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं, जो नर में नारायण देखते हैं. हम वो लोग हैं, जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं, जो पौधे में परमात्मा देखते हैं. हम वो लोग हैं, जो नदी को मां मानते हैं, हम वो लोग हैं, जो कंकड़-कंकड़ में शंकर देखते हैं. आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है. आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है, ये समाज का जन-आंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है.