Naari Shakti Geetanjali Shree:  इस साल हिंदुस्तान अपनी आजादी के 75 साल पूरे करने जा रहा है. पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इन 75 सालों में देश ने बहुत प्रगति की है. देश की प्रगति में ना सिर्फ पुरुषों बल्कि महिलाओं का योगदान भी किसी से कम नहीं है. महिलाओं को लेकर तमाम तरह के पूर्वाग्रह लोगों के दिमाग रहते हैं.


जिनको तोड़ते हुए देश की नारी शक्ति ने ना सिर्फ हमारे देश में बल्कि पूरी दुनियां में अपना परचम लहराया है और भारत का नाम रोशन किया है. नारी शाक्ति का ऐसा ही एक उदाहरण हैं लेखिका गीतांजलि श्री. अपनी इस स्टोरी में हम उनकी ऐसी उपलब्धि पर बात करेंगे जिसने दुनियांभर में देश का नाम रोशन कर दिया-


हिंदी भाषा को दिलाया अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार-


गीतांजलि श्री की पुस्तक 'रेत समाधि' के अंग्रेजी संस्करण 'टॉम्ब ऑफ सेंड' को इस साल अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला. यह हिंदी भाषा की पहली ऐसी साहित्यिक पुस्तक है जिसे यह सम्मानित पुरस्कार मिला. इसके साथ ही गीतांजलि श्री ने हिंदी भाषा के साहित्य के क्षेत्र में बुकर पुरस्कार ना मिलने की कसक को खत्म कर दिया.  


देश के लोगों के लिए यह बड़े गर्व की बात है कि इस पुरस्कार को हिंदी भाषा के लिए पहली बार अगर कोई लेकर आया तो वो एक नारी. इससे पता चलता है कि चाहे खेल का मैदान हो या लेखन की कला,देश की नारियां हर क्षेत्र में भारत का नाम रोशन कर रही हैं.


गीतांजलि श्री के बारे में-


गीतांजलि श्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले मे हुआ था. लेखन के काम में वह लगभग तीन दशक से सक्रिय हैं. रेत समाधि से पहले भी उन्होंने कई उपन्यास लिखे हैं. उनका पहला उपन्यास 'माई' था. उन्होंने 'हमारा शहर उस बरस','खाली जगह','तिरोहित' जैसे उपन्यास लिखने के अलावा कई कहानी संग्रह भी लिखे हैं. उनके लेखन का तरीका अपने आप में अलग है. उन्होंने अपना एक अलग तरीका विकसित किया है.


दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू से की पढ़ाई-


गीतांजलि श्री ने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई करने के अलावा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में एमए किया है. उनकी शुरुआती पढ़ाई अलग-अलग जगहों पर हुई जिसका कारण यह है कि उनके पिता एक सिविल सेवक थे. जिसके चलते उनकी तैनाती अलग-अलग जिलों में होती रहती थी.


महिलाओं के लिए हैं प्रेरणास्त्रोत-


गीतांजलि श्री की पुस्तक ने वो कारनाम किया जो हिंदी के वर्तमान पुरुष लेखक नहीं कर पाए. उनकी सफलता उन तमाम महिलाओं को प्रेरणा देती है जो अपने -अपने क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मेहनत कर रही हैं. उनकी सफलता ने यह साबित कर दिया कि महिलायें किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं.


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