तेहत्ता (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल में नदिया जिले के एक गांव में एक हिंदू परिवार के पास उनके पिता के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक ले जाने के लिए पैसे नहीं थे ऐसे समय में उनके मुस्लिम पड़ोसी उनकी मदद के लिए आगे आए. नदिया जिले में तेहत्ता के समीप पलाशीपाड़ा धावापाड़ा गांव के अकाली सरदार (80) का बीते बुधवार को निधन हो गया था. उनके परिवार के पास शव को करीब 26 किलोमीटर दूर श्मशान घाट तक ले जाने के पैसे नहीं थे.


इस गांव में करीब 210 परिवार रहते हैं जिनमें से ज्यादातर मुस्लिम हैं. जब गांववालों ने सरकार के परिवार की समस्या सुनी थी तो लोगों से मदद करने के लिए लाउड स्पीकर पर घोषणा की गई. सरदार के परिवार के मुस्लिम पड़ोसी उनकी मदद करने के लिए आगे आए. उन्होंने दोनों बेटों खाकोन और स्वपन के अलावा उसकी पत्नी शांति को रुपये दिए.


वे ना केवल शव को श्मशान घाट तक लेकर गए बल्कि सभी रस्में पूरी होने तक वहां रुके रहे. मामले के बारे में पता चलने पर तेहत्ता 2 के ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) अभिजीत चौधरी ने अकाली सरकार के परिवार की मदद करने के लिए गांववालों को बधाई दी. बीडीओ ने कहा, ‘‘इलाके के मुस्लिमों ने सांप्रदायिक सौहार्द का उदाहरण पेश किया है.’’