नई दिल्ली: दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं, जिसकी वजह से ऐसे इलाकों में उसका खासा प्रभाव भी देखा जा रहा है. ऐसी ही तस्वीर देखने को मिल रही है, दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर भी, जहां पर किसान आंदोलन के चलते आसपास की कई बड़ी दुकानें और शोरूम बंद हैं. इस वजह से इन शोरूम और दुकानों पर काम करने वाले लोगों पर तो असर पड़ ही रहा है और साथ ही उन लोगों के लिए भी मुश्किलें पैदा हो गई हैं, जिनको इन शोरूमस या दुकानों से सामान खरीदना था या खरीद चुके सामान की डिलीवरी लेनी थी.


किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर बने अलग-अलग कार शोरूम में भी कई तरह की दिक्कतें पेश आ रही हैं. किसान आंदोलन के चलते कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है. हालत यह हैं कि लॉकडाउन के बाद जिस कार बाजार ने थोड़ी तेज़ी पकड़ी थी, वह एक बार फिर इस आंदोलन के चलते इस इलाके में बंद हो गया है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1-1 शोरूम में पिछले एक हफ्ते के दौरान ही 25 से 30 कारों की बिक्री का नुकसान हो चुका है.


नुकसान सिर्फ कारों की बिक्री का ही नहीं, बल्कि उन लोगों को भी हुआ है, जिन्होंने शादी में देने के लिए या बारात ले जाने के लिए नई गाड़ियां बुक कराई हुईं थीं और अब उनको डिलीवरी चाहिए थी. किसान आंदोलन के चलते शोरूम बंद हैं और इस वजह से अब लोगों को तय वक्त पर गाड़ियों की डिलीवरी भी नहीं मिल पा रही. हालत यह हो गई है कि अब शोरूम की तरफ से ग्राहकों को गाड़ियों की जगह गाड़ियों की चाबी दी जा रही है. इस भरोसे के साथ कि जैसे ही यह आंदोलन खत्म होगा गाड़ियों की डिलीवरी करवा दी जाएगी और तब तक शादियों में गाड़ी की जगह गाड़ी की चाबी देकर काम चलाएं.


इसके साथ ही इन कार शोरूम में काम करने वाले लोगों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है. शोरूम में काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि इनमें से कई ऐसे हैं, जिनका काम टारगेट को पूरा करने का होता है और अगर टारगेट पूरा नहीं होता तो उनकी कमाई पर भी असर पड़ता है. फिलहाल किसान आंदोलन की वजह से वह टारगेट काफी पिछड़ गया है, लिहाजा अब इसका सीधा असर इन शोरूम में काम करने वाले लोगों की कमाई पर भी पड़ने लगा है.


यानी कुल मिलाकर किसान आंदोलन की वजह से लोगों के सामने अलग-अलग तरह की समस्याएं भी आ रही हैं. जहां बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही दिल्ली के बॉर्डर एरिया पर मुश्किलों से हो रही है तो वहीं ऐसे इलाकों में कामकाज करने वालों के सामने भी संकट खड़ा हो रहा है. यह दिक्कतें तब तक चलती रहेंगी जब तक किसान और सरकार के बीच बात नहीं बनती और आंदोलन जारी रहता है.


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