नई दिल्ली: कोरोना के शुरुआती वक्त से लेकर अब तक इसको लेकर समझ अब काफी ज्यादा हो गई है, चाहे वह मेडिकल फील्ड के लोगों के बीच कहें या फिर आम जनता के बीच. कोरोना की गंभीरता से लेकर उसके इलाज और उसके बचाव सभी कुछ अब लोगों की समझ में आता है. शुरुआती वक्त में जहां कोरोना की रिपोर्ट 1 हफ्ते से ज्यादा में आती थी तो वहीं धीरे-धीरे करके अब आरटी-पीसीआर रिपोर्ट तकरीबन 24 घंटे या उससे पहले आ जाती है. अगर एंटीजन टेस्ट की बात करें तो उसका रिजल्ट कुछ मिनटों में ही पता चल जाता है. और अब तो ऐसी कोरोना टेस्टिंग किट भी है जिससे आप खुद ही कोरोना टेस्ट कर सकते हैं लेकिन उसका मूल्य ज़्यादा है.


आईआईटी दिल्ली ने ऐसी करोना एंटीजन रैपिड टेस्ट किट बनाई है जिसके जरिए आप 5 मिनट में कोरोना की जांच कर रिजल्ट देख सकते है. यह किट महज 50 रुपये में कोरोना टेस्ट के लिए उपलब्ध होगी. इसको आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर बायमेडिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हरपाल सिंह ने अपने स्टूडेंट और असिस्टेंट डायरेक्टर, एफएसएसआई दिनेश कुमार के साथ मिलकर बनाई है. इस टेस्टिंग किट को तकरीबन 6 महीनों में बनाया गया है. शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने शुक्रवार को आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित इस किट को लॉन्च किया.  


कोरोना के लिए आरटी-पीसीआऱ टेस्ट काफी एक्यूरेट होता है लेकिन उसका रिजल्ट अगले दिन या 2 दिन बाद आता है. प्रोफेसर हरपाल के मुताबिक एक ऐसे मेथड की ज़रूरत थी जिससे जल्द से जल्द रिजल्ट मिल जाए और एक्यूरेट हो. क्योंकि इस किट के रिज़ल्ट एक्यूरेसी में 100 फीसदी है.


एबीपी न्यूज़ से बातचीत में प्रोफेसर हरपाल ने कहा, “हम पहले नहीं है जिसने यह किट बनाई है लेकिन हम इंडिया में पहले हैं जो ज़्यादा से ज़्यादा रॉ मटेरियल का इस्तेमाल कर के प्राइस नीचे ले आए है. इम्पोर्टेड कॉम्पोनेन्ट से बनाई गई किट जितनी एक्यूरेट होती है उतनी ही यह किट भी सटीक है. तकरीबन 6-8 महीने की मेहनत के बाद इसे तैयार किया गया है.


प्रोफेसर हरपाल बताते है कि कोरोना के बीच लगे लॉकडाउन के बावजूद भी इस टेस्टिंग किट के ऊपर काम चलता रहा और आईआईटी दिल्ली के लैब में लगातार दिनेश कुमार के साथ मिलकर वह काम करते रहे. इस किट को बनाने के लिए कुछ मटेरियल इंपोर्टेड लेना था लेकिन वह मिल नहीं रहा था जिसको जिसकी वजह से वह मटेरियल भी लैब में ही बनाया गया है.


दिनेश कुमार इस किट के बारे में बताते हैं कि जब इसको बनाना शुरू करा था तो दिमाग में एक आम आदमी का ख्याल था. जो कि गांव में रहता है या फिर उसके पास ज्यादा अच्छा मेडिकल फैसिलिटी नही है, तो ऐसे कुछ बनाने का सोचा जिसका प्राइस भी कम हो.


हालांकि इससे अभी घर पर टेस्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका जो भी डाटा होगा उसको सरकार तक पहुंचाना होगा और साथ ही बायो वेस्ट सिस्टम लागू है. क्योंकि अगर टेस्ट के वक़्त आप नेगेटिव हैं तो तो ठीक है लेकिन अगर आप पॉजिटिव हैं तो बायोवेस्ट डिस्पोज़ करना भी एक बड़ा काम है. इसको अभी सिर्फ प्रोफेशनल और हॉस्पिटल के इस्तेमाल की इजाज़त है. इसको डीसीजीआई और आईसीएमआऱ से अप्रूवल मिला है, अब इसका प्रोडक्शन भी शुरू हो गया है.


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