देश में कोरोना टीकाकरण की प्रक्रिया जोरों पर चल रही है. लोग टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन  COWIN प्लेटफार्म के जरिए कर रहे हैं. एम्पावर्ड ग्रुप ऑफ वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के चेयरमैन आर एस शर्मा का cowin पोर्टल और उससे जुड़ी दिक्कतों पर एबीपी न्यूज़ ने खास बातचीत की है. आइये जानते हैं क्या कुछ कहना रहा उनका एप और टीकाकरण प्रक्रिया को लेकर.


शुरआत में कुछ दिक्कत आई लोगों को अब क्या हाल है और कोई दिक्कत अभी COWIN प्लेटफार्म पर?

सरकार जब भी कोई कार्यक्रम शुरू होता है तो आप लोग glicthes शब्द का इस्तेमाल करते है दूसरा नहीं. इसमें शुरू में न कोई glitch आये ना अब कोई है. पहली तारीख से चल रहा बिलकुल निरापद रूप से चल रहा. हमको ये फीडबैक मिल रहा है की बिलकुल सरल सिस्टम है. रजिस्ट्रेशन का केवल मोबाइल नम्बर दीजिय ओटीपी दीजिए और ओटीपी दो सेकंड से कम समय मे जा रहा है लोगों के पास इसमें कोई दिक्कत नहीं है.

किस तरह से रजिस्ट्रेशन हो रहा है और क्या एक आदमी एक ही के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकता ?

रजिस्ट्रेशन काफी अच्छी तरह से हो रहा है और हमने इसमें इतनी फेलक्सीबिल्टी दी है एक व्यक्ति एक मोबाइल नम्बर से चार लोगों का रजिस्ट्रेशन कर सकता है. तो अगर कोई रजिस्ट्रेशन करा रहा है तो अपने माता पीता के साथ किसी और का है जो आयु वर्ग या केटेगरी में आता है तो हो सकता है ये पहली बात.

दूसरी बात की रजिस्ट्रेशन बहुत लोगों ने कराया है लेकिन हम सफलता का पैमाना रजिस्ट्रेशन को नहीं मानते है. कुछ लोग रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं लेकिन अपॉइंटमेंट शेड्यूल नहीं करते हैं तो इस प्रकार को हम नहीं मानते हैं. हम मानते है कितना वैक्सीनेशन हुआ. आपकी सूचना के लिए पहली तारीख को शुरू हुआ तो अब तक 10 लाख से ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ. मेरा मनना है की हम अगले हफ्ते तक 20 लाख प्रतिदिन तक पहुंच जाएंगे. लोगों की काफी डिमांड है लोग आ रहे है वैक्सीनेशन के लिए तो नम्बर काफी बढ़ जाएंगे.

क्या आपको लगता है की प्राइवेट सेक्टर को शामिल करने से तेज़ी आएगी इस टीकाकरण में?

देखिए प्राइवेट सेक्टर को शामिल करने के अलावा जो हमने प्रोसेस को सिम्प्लीफाय किया इसमें हमने डिमांड ड्रिवेन प्रोसेस बनाया. लोग चाहें तो रजिस्ट्रेशन करा के जिस अस्पताल में जिस समय जाना चाहे उस तरह करा सकते हैं. मुझे लगता है ये बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ. एक जन केंद्रित व्यवस्था लागू की. प्राइवेट सेक्टर को हमने शामिल किया है उसका अच्छा परिणाम मिल रहा है.

लोग अपना समय ले सकते हैं, अस्पताल तय कर सकते हैं. आपने कहा की ये टीकाकरण 24 घंटे भी करा सकता है कोई अस्पताल?

ये अस्पतालों के ऊपर है कि वो अपना टाईमटेबल कैसे बना सकते हैं. मान लीजिए कोई चाहे की हम दिन में नहीं शाम में 5 बजे से करेंगे तो उस हिसाब से वो अपना टाइम टेबल पब्लिश करें की किस तरह से कर सकते है.

क्या आप ऐसा देख रहे हैं की लोग जा रहे वैक्सीनेशन के लिए वो शेड्यूल करा रहे है लेकिन टीकाकरण नहीं हो पा रहा है क्या ऐसी शिकायत आई है?

मेरे पास ऐसी शिकायत आई हैं और हम इसको गंभीरता से ले रहे हैं. पहली बात ये है की सरकार ने प्राइवेट सेक्टरों को शामिल किया है उसके कुछ नियम हैं. बेसिक नियम ट्रांसपेरेंसी का आपके लिए सब लोग बराबर हैं. मान लीजिए कोई ट्रेन में रिजर्वेशन कराता है तो ट्रेन में सीट देना आपकी जिम्मेदारी है. तो आप मान लीजिए की नॉन रिजर्वेशन वालों को ट्रेन में बिठा लीजिये और रिजर्वेशन वालों को निकाल दीजिये तो ये नहीं चलेगा. तो कुछ इस तरह से हमने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर प्रिस्क्रिब किए हैं उसमें ये था की जितना एडवांस टाइम टेबल है उसे छापिए.

कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल ऐसा कर रहे है की आज उन्हें टीकाकरण करना है उन्हें वैक्सीन मिल चुकी है तो वो अपना टाइम टेबल सुबह ही छापेंगे जिस से कुछ लोग रिजर्वेशन नहीं कर सकेंगे. फिर कुछ अपने लोगों और जान पहचान के लोगों को बुलाकर वो वॉकइन करा देंगे. वॉकइन की व्यवस्था जो की थी उसका उद्देश्य यही था की आपके पास कुछ रह जाता है तब ठीक है या मान लीजिए कोई नहीं पहुंचा जैसे कुछ नहीं आए तो उसमें वॉकइन चल सकता है.

लेकिन इसका कतई ये नहीं कि टाईमटेबल पब्लिश न करें और वॉकइन करा के दे तो ये गलत चीज़ है. इसको गंभीरता से लेते है. ये नहीं है की हमारे पास डेटा नहीं है हमारे पास सब डेटा है. किस अस्पताल ने अपना टाइम टेबल पब्लिश किया, कितने लोगों ने रिजर्वेशन कराया कितने रिजर्वेशन वालों को आपने नहीं दिया कितना बाहर के लोगों को दिया ये सारी जानकारी हमारे पास है इसलिए हम आपके चैनल के माध्यम से प्राइवेट अस्पताल को की जो नियम बनाए गए है वो उसका पालन करें ये पब्लिक हैल्थ इशू है आपकी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं है की आप किसी को फायदा पहुंचाए किसी को नहीं. देश के नागरिकों का हक़ है की नियमित रूप से अपॉइंटमेंट ले और जाए.

लेकिन ऐसा होता है तो क्या करे कहाँ शिकायत करें?

हम एक ईमेल बनाने जा रहे है और दूसरा एक मोबाइल नंबर भी देंगे. 1075 नम्बर पहले से उस पर आप शिकायत कर सकते है और हम उसकी जांच करेंगे. कुछ अस्पताल जो एम्पेनलेड नहीं है आयुष्मान भारत योजना, CGHS या राज्य सरकार के साथ उन्हें भी अब टीकाकरण की अनुमति दी है ये बदलाव क्यों?

हम लोग शुरुआत में किया था कि आयुष्मान भारत, CGHS या जिन राज्यों में आयुष्मान भारत योजना नहीं है वहां स्टेट की इन्शुरन्स स्कीम है उसमें अस्पताल को रजिस्टर कराया जाए. उसके अलावा कुछ राज्यों की राय थी कुछ और निजी अस्पताल में टीकाकरण की अनुमति दी जाए. तो हमने कहा ठीक है अगर आप लोगो को लगता है इन अस्पतालों के अलावा भी आपको अगर जरूरत है जहां जहां हो सकता है वहां करा सकते है. तो ये राज्यों पर फैसला छोड़ दिया गया है एम्पेनलेड अस्पताल को शामिल किया है लेकिन जो भी शामिल हो उसको नियमो का पालन करना होगा.

इतना डेटा आ रहा है उसको सुरक्षित रखने के लिए क्या किया जा रहा है?

एक बात समझ लीजिए कि जो डेटा लिया जा रहा है वो हम क्या ले रहे है, हम लोगों से उनका नाम, जेंडर और उनकी उम्र. उसके बाद कब उसको टीका लगेगा कहां लगेगा कौन लगाएगा ये जानकारी. ये कोई सीक्रेट इनफार्मेशन नहीं है फिर भी जो भी डेटा है उसको प्रोटेक्ट करना और उसको सिक्योर करना उसकी प्राइवेसी को प्रिजर्व करना ये हमारा दायित्व है, और ये कैसे होगा ये हम जानते है. इसलिए निश्चिन्त रहे कि कोई भी किसी डेटा के चोरी होने नहीं दिया जाएगा न मिसयूज होने दिया जाएगा.

अगर कोई पहली डोज लेता है दूसरी डोज़ नहीं लेता है तो क्या ऐसे लोगों को ट्रैक किया जा सकता है?

दूसरी डोज कोई नहीं लेता तो हम उसको गिरफ्तार तो नहीं करेंगे लेकिन इतना जरूर करेंगे की दूसरी डोज का जब टाइम आएगा तो बताएंगे. ये सब हम करेंगे लेकिन आखिर में वो उनका जो मोबाइल नम्बर है उसपर हम मैसेज भेजेंगे लेकिन ये कहना की हम उनको मजबूर करेंगे कि आप दूसरा डोज़ लीजिये ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है.

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