Ideas of India Summit 2024: एबीपी नेटवर्क के खास कार्यक्रम 'आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2024' में सोशल वर्कर सोनम वांगचुक ने लद्दाख को बारे में बात करते हुए कई मुद्दों का जिक्र किया. उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि आप लोग (सेशन में बैठे) लद्दाख के मौसम के हिसाब से कपड़े पहनकर आए हैं और मैं मुंबई के हिसाब से पहनकर आया हूं. 


इंजिनियर, इनोवेटर और शिक्षा में बदलावों के लिए काम कर रहे सोनम वांगचुक ने कहा कि नदी और जंगल की पूजा प्राचीन भारतीय मूल्यों से आई, लेकिन इसका दोहन आधुनिक पश्चिम की ओर से आया. हमें ऐसे में पुरानी जड़े तलाशनी होगी. हम सही रास्ते पर चलना चुनते तो ऐसा नहीं होता. हमें विश्व गुरु बनना है तो हमे अलग रास्ता दिखाना होगा. इच्छा को कम करना होगा. 


सोनम वांगचुक ने क्या कहा?
वांगचुक से सवाल किया गया कि क्या आपको लगता है कि 1991 में वैश्वीकरण आने के बाद हम उपभोक्तावादी समाज बन गए. हम इसपर ध्यान दे रहे हैं कि अभी हम क्या कर रहे हैं, लेकिन आने वाले पीढ़ियों के लिए हम क्या छोड़कर जा रहे हैं इसपर हमारा कम ध्यान है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं इससे सहमत हूं, लेकिन हमें आतंरिक विकास की ओर बढ़ना होगा. 



चीन को लेकर क्या कहा? 
पश्चिमी देश भारत और चीन की आलोचना करते हैं कि जब जलवायु परिवर्तन को लेकर अंतर्राष्ट्रीय संधि साइन होती है तो दोनों देश कहते हैं कि आपने (पश्चिमी देश) ने सालों तक प्रदूषण फैलाया. इससे अमीर बन गए. क्या ये सही दलील है? इस सवाल को लेकर सोनम वांगचुक ने कहा कि ये सही दलील नहीं है. ऐसे में उन्होंने (पश्चिमी देशों) गलती की तो मतलब ये नहीं है कि हम भी गलती करें. ये भारतीय मूल्य नहीं है 


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