नई दिल्ली: विदेश में फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाने की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से 7 मई से शुरू होगी. गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि केवल उन लोगों को वापस आने की अनुमति दी जाएगी जिनमें कोविड-19 के लक्षण नहीं हैं. बयान में कहा गया कि विमान और पोत द्वारा यात्रा का प्रबंध किया जाएगा और इसका खर्च यात्रियों को खुद देना होगा.


मंत्रालय ने कहा कि भारत आने के बाद सभी यात्रियों की चिकित्सा जांच की जाएगी और इसके बाद उन्हें 14 दिन के लिए पृथक-वास (क्वॉरंटीन) में रखा जाएगा. मंत्रालय के अनुसार सरकार ने इस संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है और भारतीय दूतावास और उच्चायोग फंसे हुए नागरिकों की सूची बना रहे हैं.


मंत्रालय ने कहा, “यात्रियों को यात्रा का खर्च वहन करना होगा. वाणिज्यिक उड़ान द्वारा उन्हें लाया जाएगा.” मंत्रालय ने कहा कि विमान में सवार होने से पहले यात्रियों की चिकित्सा जांच की जाएगी और केवल उन्हें यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी जिनमें कोविड-19 के लक्षण नहीं होंगे.


यात्रा के दौरान उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय और नागर विमानन मंत्रालय द्वारा जारी नियमों का पालन करना होगा. गृह मंत्रालय ने कहा, “गंतव्य पर पहुंचने के बाद सभी को आरोग्य सेतु एप्प पर पंजीकरण करवाना होगा.” वक्तव्य में कहा गया, “सभी की चिकित्सा जांच की जाएगी. जांच के बाद उन्हें 14 दिन के लिए राज्य सरकार द्वारा पृथक-वास में रखा जाएगा. इस दौरान उन्हें अपना खर्च वहन करना होगा.”


चौदह दिन बाद कोविड-19 की जांच की जाएगी और स्वास्थ्य नियमों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी. विदेश मंत्रालय और नागर विमानन मंत्रालय द्वारा इस संबंध में जल्दी ही वेबसाइट पर जानकारी साझा की जाएगी.


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