नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारतीय सेना ने महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन यानि कमांडिग ऑफिसर का रोल तो दे दिया है लेकिन क्या उन्हें अब भी पुरूष समकक्ष के साममे हीन भावना से देखा जाता है जैसाकि करगिल युद्ध पर आधारित गुंजन सक्सेना फिल्म में दिखाया गया है. ये जानने के लिए एबीपी न्यूज ने दो ऐसी महिला सैन्य अधिकारियों से खास बातचीत कि जो पाकिस्तान की सीमा से करीब वाले इलाकों के मिलिट्री स्टेशन में तैनात हैं. खास बात ये है कि दोनों ही उन 422 महिला अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें परमानेंट कमीशन के लिए सेना ने हाल ही में चुना है.


आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं लेफ्टिनेंट कर्नल आरती तिवारी और लेफ्टिनेंट कर्नल रोहिणा से. दोनों की तैनाती पाकिस्तानी सीमा के करीब वाले इलाके में है. आरती तिवारी जहां सेना की आर्मी सर्विस कोर की अधिकारी हैं तो रोहिणा इंटेलीजेंस कोर से ताल्लुक रखती हैं. एक लंबे इंतजार के बाद दोनों महिला अधिकारियों को हाल में परमानेंट कमीशन के लिए चुना गया है. यानि अब मेरिट के आधार पर दोनों ही महिला अधिकारी सेना में कमांड करने के लिए तैयार हैं यानि कर्नल के रैंक पर पहुंचकर अपनी बटालियन में कमांडिंग ऑफिसर बन सकती हैं.


एबीपी न्यूज से खात बातचीत में लेफ्टिनेंट कर्नल आरती तिवारी ने बताया कि लीडरशिप-क्वॉलिटी सिर्फ पुरूषों तक सीमित नहीं हैं. ये ऐसे गुण हैं यानि कमांड करने वाले, जो ये नहीं देखता है कि ये महिला है या पुरूष. ऐसे में महिलाएं सेना को कमांड करने वाली जिम्मेदारी उठने के लिए पूरी तरह समक्ष है.


आपको बता दें कि इसी साल फरवरी के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि सेना मे् परमानेंट कमीशन यानि स्थाई कमीशन दिया जाए. क्योंकि अभी तक मेडिकल, नर्सिंग और लीकल ब्रांच को छोड़कर सेना की किसी भी कोर या रेजीमेंट में महिलाओं को परमानेंट कमीशन नहीं था. महिलाएं सिर्फ शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत ही सेना में शामिल हो सकती थी, जिसके चलते वे लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक से आगे नहीं बढ़ पाती थीं और रिटायर हो जाती थीं. लेकिन अब वे कर्नल, ब्रिगेडियर और जनरल रैंक तक भी योग्यता के आधार पर जा सकती हैं.


उच्चतम न्यायलय के आदेश के बाद सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के लिए सेना ने एक बोर्ड का गठन किया था. क्योंकि सेना में मेरिट के आधार पर ही लेफ्टिनेंट कर्नल से कर्नल रैंक के लिए मेरिट (यानि योग्यता के आधार) पर ही प्रमोशन मिल सकता है. बोर्ड ने कुल 615 महिला-अधिकारियों में से 422 को योग्य पाया है. लेफ्टिनेंट कर्नल आरती तिवारी और लेफ्टिनेंट कर्नल रोहिणा इन्हीं 422 महिला अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें सेना में स्थायी कमीशन मिल गया है.


ये 422 महिला-अधिकारी (यानि करीब 68%) अब सेना में कर्नल रैंक तक जा सकती हैं और नॉन-कॉम्बेट आर्म्स यानि इंजीनीयिरिंग कोर, ईएमई, इंटेलीजेंस, एजुकेशन, एएससी इत्यादि कमांड कर सकती है. सिर्फ इंफेंट्री, मैकेनाइजड इंफेंट्री, आर्मर्ड और आर्टलरी में महिलाओं की अभी भर्ती नहीं है बाकि सभी कोर में हो सकती है और अब कमांड भी कर सकती हैं अगर योग्य पाई गईं तो. सेना में जवान के पद के लिए भी अब महिलाओं की भर्ती शुरू हो चुकी है और जल्द ही मिलिट्री-पुलिस (सेना-पुलिस) को अपना पहला बैच मिल जाएगा.


लेकिन जिस तरह से हाल ही में करगिल युद्घ पर आधारित बॉलीवुड की फिल्म 'गुंजन सक्सेना' में दिखाया गया था कि वायुसेना में महिला अधिकारी (पायलट) को पुरूषों के मुकाबले कमजोर या फिर हीन भावना से देखा जाता था, अब सेनाओं में महिलाओं को किस तरह से आंका जाता है, उस सवाल के जवाब में लेफ्टिनेंट कर्नल आरती तिवारी और लेफ्टिनेंट कर्नल रोहिणा ने साफ तौर से कहा कि पिछले 20 साल में सशस्त्र सेनाओं में पुरूष जवान और अधिकारियों का नजरिया महिलाओं के प्रति काफी बदल गया है. अब सेना में पुरूष अधिकारी और जवान भी महिला अधिकारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा और सुरक्षा करने के लिए पूरी तरह से दृढ-संकल्प हैं--करगिल युद्ध 1999 में लड़ा गया था. एबीपी न्यूज से बातचीत में लेफ्टिनेंट कर्नल आरती तिवारी और लेफ्टिनेंट कर्नल रोहिणा दोनों ही देश की लड़कियों को सेना में आने के लिए प्रेरित करती हैं.


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