नई दिल्ली: बुधवार शाम कमिश्नर और उतरी नगर निगम के महापौर के साथ मीटिंग के बाद हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टरों ने अपने 25 दिनों से जारी प्रदर्शन और 6 दिनों के अनशन को स्थगित कर दिया. गौरतलब है कि जून से सितंबर का वेतन न मिलने के कारण प्रदर्षन को अंजाम दिया गया था. इन डॉक्टरों के समर्थन में MCDA (Municipal Corporation Doctors' Association), FORDA (Federation of Indian Resident Doctor's Association) यहां तक कि IMA (Indian Medical Association) भी खड़ा हुआ. दिल्ली के अन्य लगभग सभी मुख्य अस्पतालों ने दो घण्टे का सिंबॉलिक पेन डाउन प्रोटेस्ट जारी करने के साथ-साथ ब्लैक रिबन डे को भी अलग-अलग दिन अंजाम दिया. डॉक्टरों समेत तमाम स्वास्थ्यकर्मियों के हित मे दिल्ली का पूरा स्वास्थ्य समुदाय एक जुट नज़र आया.


हिन्दू राव में डॉक्टरों के निरंतर प्रदर्शन से एमसीडी और दिल्ली सरकार के बीच एक बार फिर फंड्स को लेकर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया. एमसीडी ने जहां दिल्ली सरकार पर उनके 13 हजार करोड़ रुपये अभी तक न देने का इल्जाम लगाया वहीं दिल्ली सरकार ने केंद्र द्वारा फंड्स न दिए जाने को कारण बताते हुए अपना पल्ला झाड़ दिया. फंड्स को लेकर टोपी एक दूसरे के सिर सरकाने के खेल के बीच डॉक्टरों ने दबाव बनाए रखा, राजनैतिक मतभेद से दूर रहते हुए उन्होंने साफ किया कि उनका वेतन जो भी देने में सक्षम हो, दें. दबाव बढ़ने पर अंत में डॉक्टरों की मांगो के आगे झुकना ही पड़ा. बुधवार रात जूस पिलाकर नार्थ एमसीडी के महापौर जय प्रकाश ने अस्पताल में अनशन कर रहे डॉक्टरों की भूख हड़ताल खत्म करवाई, वेतन देने का वादा करते हुए अपने काम को दोबारा शुरु करने का आग्रह किया. डॉक्टरों ने उनके इस कदम का स्वागत किया, उन्हें धन्यवाद दिया और कहा कि वे अपने वादों पर गुरुवार को खरे भी उतरे.


हिन्दू राव की रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेट्री, डॉक्टर सिद्धार्थ ने कहा, "हमारी जो दो मांगे थीं - सैलरी रेगुलराइज हो और अभी तक की बकाया सैलरी दी जाए, तो वो हो गया है. हमें कहा गया है कि अक्टूबर की सैलरी नवंबर में दी जाएगी और यह महीने का लैग हमेशा रहेगा ही. तो हमने गुड विल में बात मानकर अपनी स्ट्राइक का वापस लिया. हम भी अपनी ज़िमेदारी समझते हैं. हालांकि, अभी भी हमे यह आश्वासन लिखत रूप में नही दिया गया है."


कोरोना काल में कोविड अस्पताल घोषित किए जाने वाला हिन्दू राव अस्पताल, अब वापस नॉन कोविड अस्पताल की तरह काम कर रहा है. ओपीडी सेवाएं शुरू कर दी गयी हैं, डॉक्टर काम पर लौट चुके हैं और मरीज़ों ने भी आना शुरू कर दिया है.


जहां एक ओर डॉक्टर्स अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर मरीज़ भी कुछ परेशान हो गए थे. आखिरी तीन दिनों में जब अस्पताल के सीनियर डॉक्टर्स ने भी मास स्ट्राइक का ऐलान किया तो मरीजों को भी अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ा. बुराड़ी के रहने वाले उपेंद्र पाल 6-7 सालों से हिन्दू राव में अपना इलाज करवाने आ रहे हैं. कल जब वह अपना इलाज करवाने अस्पताल पहुंचे तो पर्ची ही नहीं दी गई, कोई देखने वाला नहीं था. हड़ताल पर वह कहते हैं, "आने-जाने में इतना पैसा चला जाता है, गरीब आदमी ऐसे में क्या कमाएगा और क्या खायेगा."


डॉक्टर सिद्धार्थ ने यह भी स्पश्ट किया कि उम्मीद है फिरसे भूख हड़ताल पर नहीं बैठना पड़ेगा. ऐसे ही टर्शरी फंडेड अस्पताल में ही एक आम आदमी अपना इलाज करवा सकता है, एक ऐसा व्यक्ति प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने नहीं जा सकता. डॉक्टर सिद्धार्थ ने कहा, ''वहीं हमारे लिए भी, खास कर वो रेसीडेंट्स जो निचले तबके के परिवारों से आते हैं, प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला नहीं ले सकते, उनके लिए हिंदू राव जैसे अस्पताल आशा की किरण बनकर आते हैं."