राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक बाल मुकुंद आचार्य के बयान के बाद देश में एक बार फिर हिजाब बैन के मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है. राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार शैक्षिक संस्थानों में हिजाब पर बैन लगाने पर विचार कर रही है, जिसे लेकर मुस्लिम छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. करीब डेढ़ साल बाद इस पर फिर से देश में विवाद खड़ा हो गया है.


ताजा घटना के बाद राज्य की सियासत भी गरमा गई है. साल 2022 में भी शैक्षिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर बैन लगाने का मामला उठा था, जिसे लेकर खूब विरोध प्रदर्शन हुए थे. उस समय कर्नाटक में हिजाब बैन की मांग हुई थी. आइए जानते हैं क्या था कर्नाटक का हिजाब बैन मामला और डेढ साल बाद फिर चर्चा से क्यों है-


डेढ़ साल पहले कर्नाटक में उठा था हिजाब बैन का मुद्दा
फरवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी में एक सरकारी कॉलेज में क्लासरूम में हिजाब पहनने पर बैन लगाने के बाद विवाद शुरू हुआ था. इस नियम को और भी कई संस्थानों ने लागू कर दिया और बाद में उस समय की बसवराज बोम्मई सरकार ने एक आदेश जारी किया. इस आदेश में शैक्षिक संस्थानों के अंदर हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया गया था. आदेश में कहा गया कि ऐसी ड्रेसिंग को अनुमति नहीं दी जाएगी, जो समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को खराब करे. आदेश को लेकर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसके चलते कुछ दिनों के लिए शैक्षिक संस्थानों को बंद करना पड़ा.


हाई कोर्ट ने हिजाब बैन पर दिया फैसला
फिर यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा और 15 मार्च, 2022 को फैसला आया. कोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने राज्य सरकार के इस आदेश को भी सही ठहराया कि स्कूल-कॉलेज में यूनिफॉर्म का पूरी तरह से पालन होना चाहिए.


सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हिजाब बैन का मामला
हाई कोर्ट के फैसले को मनाल और निबा नाज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. उनके अलावा, फातिमा सिफत समेत कई और छात्राओं ने भी याचिका दाखिल की. याचिकाओं पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धुलिया की बेंच ने सुनवाई की और 13 अक्टूबर को बेंच ने फैसला सुनाया. फैसले में दोनों जजों की राय अलग थी. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने याचिकाओं को खारिज किया और कहा कि याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 19 (व्यक्तिगत पसंद की स्वतंत्रता), 21 (सम्मान से जीवन का अधिकार) और 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) पर बहस की, लेकिन वह अपनी बात साबित नहीं कर पाए इसलिए हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा जाए.


जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि इस मामले को व्यक्तिगत पसंद के मामले की तरह देखा जाना चाहिए था. साथ ही इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि लड़कियां बड़ी मुश्किलों का सामना कर पढ़ाई कर पाती हैं. हिजाब पर रोक से उनके सामने एक और बाधा खड़ी हो जाएगी. इसके बाद मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया गया. 2023 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री बनने के बाद सिद्धारमैया ने स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर लगे बैन को हटा दिया. सिद्धारमैया ने कहा कि पहनावा और भोजन का चयन व्यक्तिगत मामला है.


राजस्थान के विधायक बाल मुकुंद आचार्य ने क्या कहा?
बीजेपी विधायक बाल मुकुंद आचार्य गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2024) पर जयपुर में एक सरकारी स्कूल में कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए गए थे. यहां उन्होंने छात्राओं के हिजाब पहने पर सवाल उठाए और स्कूल की प्रिंसिपल की भी डांट लगाई. उन्होंने कहा कि हिजाब की वजह से यहां का माहौल खराब किया हुआ है. बाल मुकुंद आचार्य ने प्रिंसिपल से कहा कि छात्राओं को हिजाब पहनकर स्कूल आने से रोका जाए. इसके बाद मुस्लिम छात्राओं के साथ मुस्लिम महिलाओं ने बाल मुकुंद आचार्य के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.


राजस्थान में हिजाब पर बैन लगाने की तैयारी
अब राजस्थान सरकार शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है. प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने शिक्षा विभाग को आदेश देकर दूसरे राज्यों में हिजाब बैन की स्टेटस रिपोर्ट और राजस्थान में इसका क्या प्रभाव होगा, उस पर भी एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि सभी छात्रों को स्कूल में तय ड्रेस पहनने के नियम का सख्ती से पालन करना होगा. इस मामले में शिक्षा विभाग उच्च स्तर पर रिपोर्ट तैयार करके शिक्षा मंत्री को भेजेगा. राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और गृह मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने भी हिजाब पर बैन की पैरवी की है और तय ड्रेस कोड अपनाने को कहा है.


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