नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने दिवालिया प्रक्रिया की वजह से बंद 150 बिस्तरों वाले मल्टी स्पैश्यिलिटी अस्पताल का इस्तेमाल नहीं करने के दिल्ली सरकार के तर्क पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाया जबकि इस अस्पताल की स्थापना करने वाले डॉक्टर ने इसके लिये अपनी मेडिकल टीम भेजने की पेशकश भी की है. हाई कोर्ट ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के मद्देनजर दिल्ली सरकार से 'लीक से हटकर सोचने' के लिए कहा.


दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि 'हम सामान्य परिस्थिति में नहीं हैं' और राष्ट्रीय राजधानी में मरीजों के लिए अस्पतालों में बिस्तरों की कमी है. चीफ जस्टिस डी एन पटेल और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा, ''150 बिस्तर उपलब्ध हैं. हम हर जगह बिस्तर ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हम हर दिन इसके लिए लड़ रहे हैं और आप कह रहे हैं कि इस अस्पताल का इस्तेमाल नहीं करेंगे. हमें इसका तर्क समझ नहीं आ रहा है.''


हाई कोर्ट ने कहा, ''पानी सिर से ऊपर जा चुका है. वह (याचिकाकर्ता डॉक्टर) अपना अस्पताल खोलने की पेशकश दे रहे हैं, वह अपनी मेडिकल टीम लाने के लिए तैयार हैं, आपको और क्या चाहिए?''


अदालत ने कहा, ''हम सामान्य परिस्थिति में नहीं हैं. आपको लीक से हटकर सोचना होगा. आप 150 बिस्तरों वाले अस्पताल को ऐसे कैसे जाने दे सकते हैं? आपको कोई पैसा खर्च नहीं करना. वह डॉक्टरों की अपनी टीम ला रहे हैं. उन पर कोई भी शर्त लगाइए.''


हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 12 मई को सुनवाई की अगली तारीख पर जवाब देने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि जवाब में उन शर्तों का उल्लेख होना चाहिए जिन्हें अस्पताल चलाने के संबंध में याचिकाकर्ता पर लगाने की जरूरत है.


हाई कोर्ट डॉ राकेश सक्सेना की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें महामारी के दौर में राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए फेब्रिस मल्टी स्पैश्यिलिटी हॉस्पिटल चलाने की अनुमति मांगी गई.


उन्होंने कहा कि केंद्र या दिल्ली सरकार 2019 से बंद अस्पताल का संचालन अपने हाथ में ले सकती हैं और कोविड-19 मरीजों के लिए वहां की सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकती हैं.


याचिका में उन्होंने अदालत से आपात स्थिति को देखते हुए अस्पताल को फिर से लाइसेंस दिए जाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया.


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