Gyanvapi Mosque Case: ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे पूरा हो चुका है और अब कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी जानी है. लेकिन इससे पहले ही मस्जिद को लेकर कई तरह के अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. इसी बीच मस्जिद कमेटी के महासचिव अब्दुल बातिन नोमानी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि ये मस्जिद अकबर के जमाने से है और इसका नाम पहले ज्ञानवापी नहीं बल्किल आलमगीरी मस्जिद था. 


मंदिर के दावे को किया खारिज
नोमानी ने कहा कि, औरंगजेब ने मौजूदा ढांचा बनवाया है. लेकिन बुनियाद पुरानी थी. हमारे पास इसके प्रमाण मौजूद हैं कि अकबर के जमाने से मस्जिद मौजूद थी. हम इस दावे को खारिज करते हैं कि यहां पहले मंदिर था. दूसरी बात ये है कि इस्लाम में ये नियम है कि मस्जिद जब भी बनाओ को अपनी पाक जायज कमाई से ली हुई जमीन पर बनाओ. इस मस्जिद का असली नाम आलमगीरी मस्जिद है. आज की तारीख में ज्ञानवापी एक मोहल्ले के रूप में जाना जाता है. 


उन्होंने कहा कि, कोर्ट कमीशन को सर्वे का आदेश दिया गया था. जिसके बाद सर्वे पूरा हुआ और 17 मई को रिपोर्ट सौंपी जानी थी. इसके बाद कई तरह के दावे फैलाए गए. डीएम ने इन सभी अटकलों को खारिज किया और कहा कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता है तब तक किसी भी बात को नहीं माना जा सकता है. हम भी यही कह रहे हैं. 


मस्जिद में शिवलिंग नहीं फव्वारा है - नोमानी
शिवलिंग पाए जाने के दावे को लेकर अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि, क्या कभी आपने किसी शिवलिंग के बीच में कोई सुराख देखा है क्या? इस पत्थर के बीच में छेद है. जब वहां सर्वे हो रहा था तो वकील साहब ने एक लंबी सीख उसके अंदर डाली. जो काफी अंदर तक चली गई. अगर वो शिवलिंग होता तो हम वहां वजू कैसे करते? वो शिवलिंग नहीं है. आप किसी भी मस्जिद में देख लीजिए, हर जगह ऐसा ही फव्वारा और हौज मिल जाएगा. आपको ऐसे लोग भी मिल जाएंगे जिन्होंने इस फव्वारे को चलता हुआ देखा है. यहां कोई भी शिवलिंग नहीं है. 


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