Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी (BJP) को 150 से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं, कांग्रेस और 'आप' कहीं भी टक्कर में नहीं हैं. कांग्रेस 18 सीटों पर तो आम आदमी पार्टी 7 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. गुजरात में बीजेपी ने अपना ही 20 साल पुराना रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है. 2002 में बीजेपी ने राज्य में 127 सीटों पर जीत दर्ज की थी, इस बार बीजेपी को करीब 25 सीटों का फायदा होता दिख रहा है. चलिए अब उन सीटों की बात कर लेते हैं, जहां बीजेपी को हार का डर सता रहा था लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति ने चुनाव परिणामों को पूरी तरह से बदल दिया है. 


आदिवासी सीटों पर क्या है स्थिति?


पहले यह जान लीजिए कि इस बार आदिवासी सीटों पर रुझान क्या कह रहे हैं. राज्य की 25 आदिवासी सीटों पर बीजेपी को इस बार काफी फायदा मिला है. पीएम मोदी का ऐसा जादू चला कि जिन इलाकों में आज तक बीजेपी हारती आ रही थी, वहीं से अब बीजेपी ने 150 के आंकड़े को पार कर लिया है. बीजेपी ने आदिवासी क्षेत्रों में करीब 47 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया है. करीब 20 सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है. 


पीएम मोदी ने कैसे बदल दिए परिणाम?


दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने इस बार गुजरात चुनाव के मद्देनजर आदिवासी क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया. प्रधानमंत्री मोदी ने आदिवासी क्षेत्रों में आगे बढ़कर बीजेपी का नेतृत्व किया. इसी साल अप्रैल में पीएम मोदी ने गुजरात के आदिवासी बाहुल्य दाहोद जिले (Dahod District) में एक कार्यक्रम में भाग लिया था. यहां पीएम मोदी एक आदिवासी जैकेट और टोपी पहने नजर आए थे.


दाहोद जिले में हुए कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा (Birsa Munda) और अन्य आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को भी याद किया था. इस दौरान उन्होंने राज्य में जनजातियों के कल्याण के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री (Gujarat CM) के रूप में अपने काम का भी उल्लेख किया था. 


ये रणनीति भी काम आई!


बता दें कि आदिवासी लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में, आदिवासी समूहों और संगठनों के विरोध के बाद, भारतीय वन अधिनियम-1927 और सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम-2003 में संशोधन के प्रस्तावों को वापस ले लिया. 


इसी के साथ, सरकार ने आदिवासी कल्याण पर बजटीय खर्च भी बढ़ाया है और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया है. जाहिर है इन कोशिशों से बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश की और चुनाव परिणामों में सीधे तौर पर बीजेपी को इसका फायद मिलता दिख रहा है.


आदिवासी सीटों पर 2017 में क्या हुआ था?


कांग्रेस परंपरागत रूप से गुजरात में अधिकांश आदिवासी बाहुल्य सीटों पर जीत हासिल करती रही है, भले ही वह पिछले 27 वर्षों से सत्ता से बाहर है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित 27 सीटों में से 15 पर जीत हासिल की थी और बीजेपी ने 9 सीटें जीती थीं. 2017 में कांग्रेस की सहयोगी, भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो सीटें जीती थीं और एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी. इस बार बीटीपी अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी.


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