जीतने के बाद भी बीजेपी के सामने खड़ा है ये सबसे बड़ा सवाल
एबीपी न्यूज | 18 Dec 2017 05:44 PM (IST)
2012 के आंकड़ों पर गौर करें तो शहरी इलाकों के वोटरों ने बीजेपी को सत्ता दिलाई थी. इस बार भी वही हाल रहा. इस बार शहरी इलाकों की 84 सीटों में से बीजेपी को सीटें मिली हैं, जबकि 2012 में ये आंकड़ा 66 सीटों का था.
गुजरात विधानसभा चुनाव रिजल्ट 2017: गुजरात चुनाव में बीजेपी 22 साल पुरानी सत्ता को बरकरार रखने में कामयाब रही. इन नतीजों ने एक बार फिर साबित किया है कि बीजेपी ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरी क्षेत्र में अब भी लोगों की पसंद बनी हुई है. बीजेपी बखूबी जानती है कि उसे गुजरात में इस बार सत्ता बड़ी मुश्किल से मिली है. बीजेपी को गुजरात का सरदार बनाने में इस बार शहरी वोटरों ने बड़ी भूमिका निभाई है, वरना ग्रामीण इलाकों में बीजेपी का कमल मुरझाया हुआ सा दिख रहा है. गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों में से 84 सीट शहरी हैं जबकि 98 सीट ग्रामीण इलाकों में आती हैं. शहरों ने बीजेपी की लाज बचाई 2012 के आंकड़ों पर गौर करें तो शहरी इलाकों के वोटरों ने बीजेपी को सत्ता दिलाई थी. इस बार भी वही हाल रहा. इस बार शहरी इलाकों की 84 सीटों में से बीजेपी को सीटें मिली हैं, जबकि 2012 में ये आंकड़ा 66 सीटों का था. गुजरात के 4 बड़े शहरों...अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा और सूरत की 55 में से 44 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया जबकि कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटों पर ही संतोष दर्ज करना पड़ा. निश्चित रूप से शहर ही बीजेपी का गढ़ रहा है इस बार भी शहरों ने ही बचाया है और गांव का वोट जाति के हिसाब से बंटा है. गांव ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया गुजरात के नतीजे बता रहे हैं कि गांव से बीजेपी का रिश्ता कमजोर हो रहा है. कम से कम आंकड़े तो यही गवाही दे रहे हैं. गुजरात की 98 ग्रामीण सीटों में से इस बार बीजेपी सिर्फ सीटों पर ही जीत पाई है. जबकि 2012 में 49 सीटें मिली थीं. कांग्रेस का वोटबैंक ग्रामीण इलाकों में है और वो अब बढ़ रहा है. बीजेपी के सामने सबसे बड़ा सवाल - ग्रामीण इलाकों के वोटर बीजेपी से क्यों दूर हो रहे हैं ? - क्या मोदी सरकार किसानों से दूर होती जा रही है ? गुजरात और हिमाचल में जीत के बावजूद बीजेपी के लिए ये नतीजे एक सबक से कम नहीं होंगे.