Congress Gujarat Election: गुजरात में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब कांग्रेस नई रणनीति के साथ मैदान में उतर रही है. कांग्रेस के पास फंड की कमी जरूर है, लेकिन अब पार्टी के नेताओं ने ठीक बीजेपी की तरह ही बूथों को टारगेट करने का फैसला लिया है. 90 वर्षीय बालूभाई पटेल गुजरात कांग्रेस के लिए एक दर्जन से अधिक "कठिन" सीटों के डेटा पर प्लान तैयार कर रहे हैं. उनकी इन सभी सीटों पर आने वाले दिनों में दौरा करने की योजना है. बता दें कि पटेल प्रदेश कांग्रेस की चुनाव समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं.

स्वतंत्रता आंदोलन के युग में पले-बढ़े पटेल, कुछ सालों को छोड़कर, चिमनभाई पटेल के नेतृत्व वाले जनता दल के साथ थे. उनका मानना है कि चिमनभाई और शंकरसिंह (वाघेला) जैसे बड़े नेता भी गुजरात में तीसरा मोर्चा नहीं बना सके, तो 'आप' क्या है. वहीं अब उन्होंने 1995 में गुजरात की सत्ता से बाहर कांग्रेस को बूथ नेटवर्क पर मजबूत करने के लिए बीजेपी की किताब से एक पन्ना निकाला है. पार्टी नेताओं का कहना है कि आप इस मामले में कांग्रेस का मुकाबला नहीं कर सकती है.  

बूथ प्रबंधन पर कांग्रेस का जोर, स्वयंसेवकों की नियुक्ति

इंडियन एक्सप्रेस पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अहमदाबाद में कांग्रेस कार्यालय में युवाओं के एक समूह को बूथ प्रबंधन के लिए स्वयंसेवकों को नामांकित करने के लिए नियुक्त किया गया है. एक पदाधिकारी का कहना है, "हमारे पास मौजूद डेटाबेस से हम नामांकन को सत्यापित करने के लिए प्रत्येक नंबर पर कॉल करते हैं, उनसे पूछते हैं कि क्या वे स्वयंसेवा करना चाहते हैं, और अगर वे सहमत हैं तो हम उन्हें अपने पड़ोस से चार-पांच और नामांकन करने के लिए कहते हैं जो बूथों में काम करेंगे."

कांग्रेस के 91 रथ

कांग्रेस ने अगस्त से हर दो निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 91 "रथ" भी तैनात किए हैं, जो लगातार आगे बढ़ रहे हैं. उनका एजेंडा "बीजेपी से पहले के कई दशकों में देश के विकास की नींव रखने में पार्टी के योगदान" को रेखांकित करना है. अहमदाबाद में पार्टी मुख्यालय लगभग खाली है. एक पदाधिकारी कहते हैं, ''हर कोई परिवर्तन संकल्प यात्रा पर निकल चुका है.'' यात्रा 1 नवंबर को पांच क्षेत्रों में पांच मार्गों से शुरू हुई,और 182 निर्वाचन क्षेत्रों में से 175 को कवर करना है.

पीएम मोदी ने की थी कांग्रेस के 'मौन' अभियान की बात

पिछले महीने आणंद जिले के वल्लभ विद्यानगर में एक रैली में मोदी ने कांग्रेस के 'मौन' अभियान की बात की थी. उन्होंने कहा, "इस तथ्य के आधार पर उनका आकलन न करें कि उन्होंने सार्वजनिक बैठकें, प्रेस कॉन्फ्रेंस या बयान नहीं दिए हैं." अप्रैल के बाद से मोदी की लगातार गुजरात यात्राओं, आभासी घोषणाओं और उद्घाटन, अगस्त से 22 जनसभाओं और रोड शो की ओर इशारा करते हुए, कांग्रेस के चुनाव समन्वयक पटेल कहते हैं, "अगर यह भाजपा के लिए इतना आसान होता तो पीएम को बार-बार गुजरात जाना पड़ता."

'AAP केवल शहरों में, गांवों में में इसका बोलबाला नहीं'

90 वर्षीय दिग्गज कहते हैं, "आप केवल शहरी वोटों को छीन सकती है, जो बीजेपी के हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इसका कोई बोलबाला नहीं है." कांग्रेस के एक पूर्व सांसद का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी "केवल प्रचार पर निर्भर है, इसका कोई नेटवर्क नहीं है, जमीन पर कोई वास्तविक काम नहीं है." हालांकि, फिर भी खस्ताहाल आप को लेकर बेचैनी है. पूर्व लोकसभा सांसद संदीप दीक्षित को AAP के दिल्ली मॉडल के दावों का भंडाफोड़ करने का काम सौंपा गया है. दीक्षित ने गुजरात में डेरा डाल लिया है.

द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में गुजरात के प्रभारी एआईसीसी महासचिव रघु शर्मा ने कहा, "पिछली बार पाटीदार आंदोलन था, ओबीसी आंदोलन, एक पूर्व मुख्यमंत्री (अशोक गहलोत) प्रभारी थे, राहुल गांधी ने यहां प्रचार किया था...40 दिनों के लिए ... कांग्रेस और क्या बल प्रयोग कर सकती थी?"

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