नई दिल्ली: अब सरकार और भारतीय जनता पार्टी को भी शायद एहसास होने लगा है कि कारोबारियों में बीच सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा. एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार के मंत्री अब कारोबारियों के बीच जाकर उनका हाल जानेंगे. मंत्रियों को ये निर्देश जारी किया गया है कि वो कारोबारियों से सीधे रूबरू हों ताकि उनकी परेशानियों का जायजा लिया जा सके और समय रहते उन्हें दूर भी किया जाए.


इसमें खास तौर से फोकस इस बात पर रहेगा कि जीएसटी के बाद उन्हें किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. इस पर भी पर ध्यान रखा जाएगा कि इससे निपटने के लिए वो सरकार से क्या उम्मीद लगाए बैठे हैं. छोटे और मझौले कारोबारियों को खास तवज्जो देते हुए उनका फीडबैक लेने के लिए कहा गया है.


कारोबारी समय समय पर प्रेजेंटेशन देकर सरकार तक अपनी परेशानियां पहुंचाते रहे हैं. पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय ने भी जीएसटी से जुड़े क्षेत्रीय अधिकारियों से कहा है कि वो कारोबारियों के बीच सर्वे करें. अधिकारियों से कहा गया कि वे इस सर्वे के जरिए ये जानने की कोशिश करें कि जीएसटी लागू होने के बाद व्यापार करने खासकर रिटर्न फाइलिंग में उन्हें क्या क्या दिक्कत आ रही है.


सूत्रों के मुताबिक़ कुछ मंत्रियों ने पहले ही पार्टी नेतृत्व को उनके क्षेत्र के कारोबारियों को जीएसटी लागू होने के बाद हो रही परेशानियों से अवगत करा दिया है. कुछ मंत्रियों ने कहा है कि पिछले हफ्ते 6 अक्टूबर को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में जो रियायतें दी गई हैं उसका कारोबारियों ने स्वागत किया है.


दरअसल हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके बाद मोदी सरकार लोकसभा चुनाव की तैयारियों में भी जुटने वाली है. दूसरी तरफ इतिहास गवाह है कि दुनिया के दूसरे देशों में जिस जिस सरकार ने जीएसटी लागू किया है वो अगली बार सत्ता में नहीं आई है. इसलिए सरकार और पार्टी कोई जोखिम मोल लेना नहीं चाहती.