नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने सोमवार को उद्योगों के लिए लिक्विड ऑक्सीजन के उपयोग पर अपने आदेश को संशोधित कर दिया और फार्मा कंपनियों, एम्प्यूल्स और वायल मैन्युफैक्चरर और डिफेंस फोर्सेज को इसका इस्तेमाल जारी रखने की अनुमति दी है. मंत्रालय ने विभिन्न फर्मों के साथ गैस ट्रांसपोर्ट पर भी अपना ध्यान केंद्रित करने को लेकर भी फैसला लिया है,  क्योंकि गृह मंत्रालय के ऑक्सीजन की कमी नहीं होने के दावों के बीच ट्रांसपोर्ट एक महत्वपूर्ण चुनौती है.  


लॉजिस्टिक चुनौतियों को दूर करने और लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की तेजी से सप्लाई  की सुविधा के लिए सरकार ने स्टील कंपनियों को ऑक्सीजन परिवहन के लिए एक निश्चित संख्या में नाइट्रोजन टैंकरों को कंवर्ट का आदेश दिया है. वर्तमान में  765 नाइट्रोजन टैंकर की 8,345 मीट्रिक टन ट्रांसपोर्ट कैपिसिटी और 434 आर्गन टैंकर की 7,642 मीट्रिक टन ट्रांसपोर्ट की कैपिसिटी है.
 
लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का 1172 टैंकर कर रहे ट्रांसपोर्ट  
कुछ टैंकरों को कंवर्ट करने से ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट में अधिक वाहनों का उपयोग किया जा सकेगा क्योंकि वर्तमान में 1,172 टैंकर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए उपलब्ध हैं, जिनकी क्षमता 15,900 मीट्रिक टन है. इसमें और अधिक टैकरों के जुड़ने से कोविड -19 मरीजों के लिए बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन गैस को ट्रांसपोर्ट करने में तेजी आएगी.


स्टील प्लांटों से ऑक्सीजन की सप्लाई
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के स्टील प्लांट से देश में ऑक्सीजन की कमी दूर हो रही है. इन प्लांटों से 25 अप्रैल तक विभिन्न राज्यों को 3131.84 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति हुई. 24 अप्रैल को 2894 मीट्रिक टन आक्सीजन की आपूर्ति की गई थी. एक हफ्ते पहले औसतन 1500 से 1700 मीट्रिक टन प्रति दिन भेजा जा रहा था.



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