नई दिल्ली: लॉकडाउन में जब दूध और दवा पाने के लिए निकलने वाली जनता कहीं-कहीं पुलिस की लाठी पा रही है, वहीं मनोहर लाल खट्टर शासित हरियाणा में दूध-दवा से ज्यादा शराब की दुकानें खुली हुई हैं. लॉकडाउन में जरूरी सामान पाने के लिए ही जनता को घर से बाहर निकलने की इजाजत है, नहीं तो पुलिस की लाठी मिलती है. ऐसे में क्या हरियाणा की बीजेपी सरकार शराब को आवश्यक वस्तु मानकर खुलवाए बैठी है?


पंचकूला में सभी ठेके खुले हैं. पूरे हरियाणा में बंद करने का आदेश नहीं है. फरीदाबाद में लॉकडाउन के दौरान भी गला तर करने का इंतजाम सरकार ने शराब की दुकानें खुलवा कर किया है. रोहतक में ठंडी बीयर, अंग्रेजी शराब या फिर देसी शराब भी मिलेगी क्योंकि सारे ठेके लॉकडाउन नहीं बल्कि खुले हुए हैं.


सारा खेल पैसों का


शराब के ठेके बंद ना करने के पीछे खेल पैसों का है. हरियाणा में शराब के ठेके करीब 2500 हैं. 2019-20 में शराब से सरकार का पैसा कमाने का टारगेट 6600 करोड़ का है. 31 मार्च तक का लाइसेंस ठेके वालों को दे रखा है. शायद सरकार को जनता से ज्यादा शराब बेचने वालों की फिक्र है.


हरियाणा के पांच जिलों में 26 कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं. गुरुग्राम में सबसे ज्यादा कोरोना के 22 मरीज मिले हैं. शराब के ठेके लॉकडाउन में सरकार ने गुरुग्राम में खुलवा रखे हैं. जिस भारत सरकार की तारीफ कोरोना से लड़ाई में WHO कर रहा है, वहीं हरियाणा सरकार शराब बिकवा कर गलत संदेश दे रही है.


एबीपी न्यूज़ की राय है कि हरियाणा की बीजेपी सरकार लॉकडाउन में खोले गए शराब के ठेकों को तुरंत बंद करे. शराब कैसी आवश्यक वस्तु है  जो ठेके खोले गए,  इसका जवाब केंद्र सरकार हरियाणा सरकार से मांगे.