नई दिल्ली : जनरल बिपिन रावत आज देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस (सीडीएस) के तौर पर पदभार संभालेंगे. जनरल रावत को आज सुबह 10 बजे साउथ ब्लॉक लॉन में तीनों सेनाओं की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा. इसके बाद वो मीडिया से मुखातिब होंगे. जनरल बिपिन रावत मंगलवार को थलसेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए हैं. जनरल रावत 65 साल की उम्र तक इस पद पर रहेंगे. यानि जनरल रावत अगले तीन साल तक इस पद पर बन रहेंगे क्योंकि वे इसी साल मार्च में 62 साल की होंगे.


जनरल बिपिन रावत हैं देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस 


सरकार ने सीडीएस के पद के लिए शनिवार को ही आर्मी रूल्स में बदलाव करते हुए सीडीएस के लिए 65 वर्ष की उम्र घोषित कर दी थी. पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और डोकलम विवाद में चीन को पटखने देने वाले जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस (सीडीएस) बनाया गया है.


सीडीएस फोर स्टार जनरल हैं और वो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले एक नए विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स के सेक्रेटरी के तौर पर काम करेगें और सरकार (राजनैतिक नेतृत्व) को सैन्य मामलों पर सलाह देंगे. लेकिन सरकार ने साफ कर दिया कि सीडीएस सीधे तौर से थलसेना, वायुसेना और नौसेना के कमांड और यूनिट्स को सीधे तौर से कंट्रोल नहीं करेगा. लेकिन उसके अंतर्गत सेना के तीनों अंगों के साझा कमांड और डिवीजन होंगे.


फिलहाल अंडमान निकोबार कमांड ही ट्राई-सर्विस कमांड है जो अब सीडीएस के अंतर्गत काम करेगा. इसके अलावा, हाल ही में तीनों सेनाओं के स्पेशल फोर्सेंज़ की ऑपरेशन डिवीजन (आर्मर्ड फोर्सेज़ स्पेशल ऑपरेशन्स डिवीजन) और डिफेंस साईबर एजेंसी सहित स्पेस एजेंसी अब सीडीएस के मातहत काम करेंगी.


स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने  की थी घोषणा 


गौरतलब है कि इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीडीएस बनाने की घोषणा की थी. सीडीएस, रक्षा मंत्री के प्रिंसिपल मिलिट्री एडवाइजर के तौर पर काम करेंगे. हालांकि तीनों सेनाओं (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) के प्रमुख पहले ही के तरह रक्षा मंत्री को ही रिपोर्ट करते रहेंगे. सरकार ने साफ कर दिया है कि सीडीएस सैन्य मामलों से जुड़े मुद्दे देखेंगे जबकि देश की रक्षा करने की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की ही होगी.


क्या है सीडीएस की नियुक्त का मकसद?


सीडीएस की नियुक्त का मकसद भारत के सामने आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाना है. सीडीएस तीनों सेनाओं के ऑपरेशन्स, लॉजिस्टिक, ट्रांसपोर्ट, ट्रेनिंग, कम्युनिशेंस इत्यादि के बीच एकीकरण का काम करेगे. साथ ही सेनाओं के आधुनिकिकरण में भी सीडीएस की मुख्य भूमिका होगी. सीडीएस सेनाओं के फाइव ईयर डिफेंस एक्युजेशन प्लान यानि सेनाओं के पांच साल के रक्षा बजट को भी लागू करने में अहम भूमिका होगी.


प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली न्युक्लिर कमांड अथॉरिटी के भी मिलिट्री एडवाइजर के तौर पर काम करेगा सीडीएस. ये परमाणु हथियारों पर देश की सबसे बड़ी ऑपरेशनल कमांड है, हालांकि इन हथियारों की देखभाल स्ट्रेटेजिक फोस कमांड (एसएफसी) करती है जिसमें तीनों सेनाओं की भागीदारी होती है. करगिल युद्ध के बाद बनी सुब्रमणयम कमेटी रिपोर्ट ने पहली बार देश में सीडीएस बनाए जाने की सिफारिश की थी. लेकिन पिछले 20 सालों से ये मामला लटका हुआ था. करगिल युद्ध के दौरान थलसेना और वायुसेना के बीच समन्वय की कमी देखने को मिली थी.


जनरल बिपिन रावत की सीडीएस के तौर पर नियुक्ति को लेकर विवाद भी खड़ा होने लगा है. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने सीडीएस को दी गई जिम्मेदारियों को लेकर सवाल खड़े किए तो अधीर रंजन चौधरी ने उनके सेनाप्रमुख के तौर पर उपलब्धियों और उनकी विचारधारा पर तंज कसा. लेकिन सरकार की तरफ से बीजेपी सांसद और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने ट्वीट करते हुए कहा कि तीनों सेना प्रमख (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) रक्षा ,सचिव से सीनियर होते हैं और सीडीएस सभी सेना प्रमुखों में फर्स्ट अमंग इक्युल हैं. साथ ही सीडीएस मिलिट्री एफयेर्स विभाग के प्रमुख भी हैं.


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