संयुक्त राष्ट्र संघ के 76वें आम सत्र के हाशिए पर हुई अहम मुलाकात में भारत समेत जी-4 के समूह ने यूएन में जल्द से जल्द ढांचागत सुधार की प्रक्रिया शुरु करने की मांग की है. जी-4 यानी भारत-जापान-ब्राजील और जर्मनी के विदेश मंत्रियों की न्यूयॉर्क में हुए बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अधिक वैध, प्रभावी और प्रतिनिधि बनाने के लिए सुधार की प्रक्रिया प्राथमिकता के साथ पूरी करने की जरूरत है.


 सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता हासिल करने में जुटे चारों देशों ने आग्रह किया कि जल्द से जल्द एक प्रस्ताव दस्तावेज के आधार पर विस्तार व सुधार की कवायद आगे बढ़ाने की जरूरत है. जी-4 विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी बयान के मुताबिक चारों देशों ने यूएन में अपने प्रतिनिधिमंडलों को निर्देश दिया कि इसके लिए 76वीं महासभा के अध्यक्ष के साथ मिलकर अंतर-सरकारी तंत्र और मसौदा संकल्प के तौर पर एकल समेकित पाठ को विकसित करने के तरीके तलाशे जाएं.


जी-4 देशों की सुरक्षा परिषद में स्थाई व अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने की अपील
जी-4 में इस बात पर सहमति भी नजर आई कि एक निश्चित समय-सीमा में और ठोस परिणाम हासिल करने करने की मंशा के साथ प्रयास किए जाए. साथ ही इसके लिए अन्य सुधारवादी देशों और समूहों के साथ सतत संपर्क बनाते हुए तेज रफ्तार कवायद करने का निर्णय लिया. गौरतलब है कि जी-4 देश सुरक्षा परिषद में स्थाई और अस्थाई सदस्यों की संख्या बढ़ाने का आग्रह कर रहे हैं ताकि मौजूदा वैश्विक जरूरतों और वास्तविकता के आधार पर यूएन को अधिक प्रभावी बनाया जा सके.


जी-4 विदेश मंत्रियों की बैठक में ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रेंको,  जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री हेइको मास, भारतीय विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर और जापानी विदेश मंत्री मोटेगी तोशिमित्सु शामिल हुए थे.


सुरक्षा परिषद को ज्यादा कारगर बनाने की जरूरत


अपने क्षेत्र में ताकत और अहमियत रखने वाले चारों देशों ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक स्तर पर जटिल और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी है कि सुरक्षा परिषद जैसी यूएन संस्था को अधिक कारगर बनाया जाए. यह तभी संभव है जब इसकी सदस्यता का विस्तार इस तरह से हो ताकि जो मौजूदा समय के वैश्विक समीकरणों के अनुरूप हो.इस बात के प्रबल संकेत हैं कि अमेरिका पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 25 सितंबर की सुबह संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान सुरक्षा परिषद समेत वैश्विक व्यवस्थाओं में सुधार का मुद्दा उठाएं.


सुरक्षा परिषद का ढांचा 75 साल पुराना


गौतरतलब है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बने संयुक्त राष्ट्र संघ में सुरक्षा परिषद का ढांचा भी 75 साल पुराना ही है. इसमें स्थाई सदस्य के तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे तीन पश्चिमी मुल्क शामिल हैं। वहीं एशिया जैसे अहम महाद्वीप की नुमाइंदगी स्थाई सदस्य के तौर पर केवल चीन करता है. वीटो अधिकार की ताकत से लैस रूस जैसा देश भी आंशिक तौर पर यूरोप और एशिया का प्रतिनिधित्व करता है. 


भारत जनवरी 2021 से सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य है


दुनिया के 190 से अधिक देशों की सदस्यता वाले यूएन की सबसे ताकतवर संस्था यानि सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्यों की संख्या केवल 15 ही है. ध्यान रहे कि भारत जनवरी 2021 से सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य है. हालांकि भारत सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के तौर पर अपनी दावेदारी कई बार जता चुका है. साथ ही सुरक्षा परिषद के कई स्थाई सदस्यों समेत दुनिया के अनेक देश भारतीय दावेदारी का समर्थन भी कर चुके हैं. 


हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ में धीमी चाल और आपसी खींचतान के चलते व्यापक यूएन सुधारों पर बनी अंतर-सरकारी वार्ताओं की कवायद आगे नहीं बढ़ पाई है.संयुक्त राष्ट्र संघ की 75वीं सारगिरह के मौके पर पारित प्रस्तावों में भी सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने की बातें की गईं थी. लेकिन वो बातें अभी तक किसी ठोस नतीजे या प्रक्रिया की शक्ल में आगे नहीं बढ़ पाई हैं.


ये भी पढ़ें


FDA ने दी फाइजर के बूस्टर डोज को मंजूरी, बुजुर्गों और गंभीर बीमारी से पीड़ित को दी जाएगी यह वैक्सीन


WHO ने जारी की टॉप-10 देशों की लिस्ट, यहां हेल्थ केयर सिस्टम है सबसे Best, देखें पूरी लिस्ट