गुजरात के सूरत में रहने वाली अमिता पटेल ने बेटी को खो दिया, अपनी बेटी के खोने पर उन्होंने एक बेटा हासिल किया. जी हां गुजरात की अमिता पटेल ने अपनी बेटी जाह्नवी जो फैशन डिजाइनर बनने का सपना देखती थी उसे खो दिया. दरअसल एक एक्सीडेंट में अमिता की बेटी ब्रेन डेड हो गई. जिसके बाद अमिता ने अपनी बेटी का आर्गन डोनेट करने का फैसला किया. अमिता ने अपने बेटी का दिल सूरत के ही रहने वाले लालजी को डोनट किया और उसकी जान बचाई.


लालजी के अंदर आज जाह्नवी का दिल धड़क रहा है. अब जब भी मां अमिता अपनी बेटी की याद आती है तो वह लालजी से बात कर लेती है. दोनों का रिश्ता अब ‘दिल से जुड़ गया’ है. अमिता अब 26 वर्षीय लालजी को अपना बेटा मानती हैं. लालजी को अमिता की बेटी का दिल उस वक्त मिला जब वह अपने महत्वपूर्ण अंग फेल हो जाने के बाद मौत के कगार पर पहुंच गया था. लालजी भी अमिता को अपनी मां मानता है और वह अमिता के पति के देहांत के वक्त वहां मौजूद रहा.


अमिता के अपनी बेटी के ब्रेन डेड हो जाने के बाद अपनी बेटी का दिल दान करना एक बेटे के रूप में नया रिश्ता दे गया.


हर साल 13 अगस्त को विश्व अंग दान दिवस के रूप में मनाया जाता है, अमिता, जाह्नवी और लालजी की यह कहानी बताती है कि कैसे अंग दान दो अंजान परिवारों के बीच जीवनभर का रिश्ता कायम कर देती है.


  अमिता को 2018 के उस दिन को याद करते हुए बताती हैं कि उनकी बेटी जाह्नवी कुछ दिन पहले ही 21 वर्ष की हुई थी और वह अपने दोस्तों के साथ मस्ती करके वापस लौट रही थी. तभी वह कार के बूट से गिर गई, तीन दिनों तक आईसीयू में इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया. बाद में अमिता को डोनेट लाइफ एनजीओ की टीम से परामर्श लिया आप अपनी बेटी का दिल, किडनी, लीवर और कार्निया दान करने का निर्णय लिया.


वहीं लालजी का दिल सही मात्रा में रक्त को पंप नहीं कर पा रहा था और वह मुंबई के अस्पताल में भर्ती था डॉक्टरों ने उसके परिवार को बता दिया था कि उसकी जान बचाने के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. इसके बाद 20 नंवबर 2018 को लालजी की जान बचाने के लिए एक ग्रीन कॉडिडोर बनाया गया और जाह्नवी के दिल को लालजी में ट्रांसप्लांट किया गया. उस वक्त लालजी की उम्र 23 साल की थी.


लालजी कहते है आज मैं जाह्नवी के कारण जीवित और मेरा पटेल परिवार से एक अटूट बंधन बन गया है खासकर मेरी मां(अमिता) से.


जाह्नवी के बॉडी पार्ट्स फिलहाल पांच अलग-अलग लोगों के जान बचाई. अमिता कहती हैं ऑर्गन डोनेशन से बड़ा दान पूरी दुनिया में कुछ नहीं है.


वहीं डोनेट लाइफ एनजीओ के संस्थापक नीलेश मंडलेवाला ने कहा कि अंग दान करने वाले को कई बार प्राप्तकर्ता नहीं मिल पाते हैं, लेकिन यह मामला काफी असाधारण था. ब्रेन डेड व्यक्ति से किसी को नया जीवन देना चमत्कार से कम नही था.


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