Maharashtra News: बीएमसी के पूर्व नगरसेवक और गुट नेता अब BMC आयुक्त के खिलाफ खड़े हो गए हैं. मुंबई महानगर पालिका (BMC) के आयुक्त इकबाल सिंह चहल (Iqbal Singh Chahal) के खिलाफ शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी और मनसे के पूर्व नगरसेवकों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) से एक शिकायती पत्र भेजा है. इस पत्र में कुल 94 नगरसेवकों के हस्ताक्षर हैं. 


इस शिकायती पत्र में कहा गया है कि मार्च 2022 से अब तक नगर आयुक्त सह प्रशासक प्रभारी हैं और जवाबदेही का भी घोर अभाव है. हजारों करोड़ों रुपये के ठेके और प्रस्ताव दिए गए हैं लेकिन एक भी ड्राफ्ट लेटर (DL) सार्वजनिक डोमेन में नहीं डाला गया है. वित्त मामलों को लेकर पूरी तरह से अपारदर्शिता है. बार-बार मांग करने के बाद भी पूर्व नगरसेवकों को डीएल प्रदान नहीं किए जाते हैं और यह पता लगाने का कोई तरीका नहीं है कि कौन सी परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं और किस कीमत पर कौन से अनुबंध दिए गए हैं. 


ट्रांसफर नीतियों पर उठाया सवाल 


नगरसेवकों का आरोप है कि ऐसे कई अधिकारी हैं, जिनका बार-बार ट्रांसफर हो चुका है. इस तरह के तबादले, इस बात का संकेत हैं कि या तो ट्रांसफर बिना सोचे-समझे हो रहे हैं या मौजूदा ट्रांसफर नीतियों के मुताबिक नहीं हो रहे हैं. एक और संकेत यह है कि बीएमसी में एक बड़ा कैश-फॉर-ट्रांसफर घोटाला हो रहा है, जहां टॉप पोस्टिंग को उच्चतम बोली लगाने वाले के लिए एक रेशनल आधार पर नीलाम किया जा रहा है, जहां हर बड़ी बोली के साथ पद बांटे जा रहे हैं. 


शिकायत करने में चार नेता भी शामिल 


इस पत्र में 94 पूर्व नगरसेवकों के साथ चार नेताओं के भी हस्ताक्षर हैं. इनमें पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर, बीएमसी एनसीपी गुट नेता राखी जाधव, बीएमसी कांग्रेस गुट नेता रवि राजा और समाजवादी पार्टी गुट नेता रईस शैख शामिल हैं. इस आरोप पर मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने नगरसेवकों और गुट नेताओं की तरफ से मुख्यमंत्री को दिए गए शिकायती पत्र पर अपना बयान जारी किया है. 


'10 हजार करोड़ रुपये बढ़ा वित्तीय भंडार'


इकबाल सिंह ने कहा कि पारदर्शिता की कोई कमी नहीं है क्योंकि बीएमसी की तरफ से लिए गए फैसलों से जुड़े 100 प्रतिशत संकल्प पारदर्शी रूप से बीएमसी की वेबसाइट पर बिना किसी अपवाद के जांच के लिए उपलब्ध हैं. बीएमसी की वित्तीय स्थिति बेहतरीन है. बीएमसी का वित्तीय भंडार 2020 में 77 हजार करोड़ से आज बढ़कर 87 हजार करोड़ हो गया है. इसलिए वित्तीय कुप्रबंधन या पतन का कोई सवाल ही नहीं है. 


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