Manik Sarkar On Tripura Election Result: त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने चुनावी नतीजों में बीजेपी (BJP) की जीत के बाद अन्य दलों पर निशाना साधा है. माणिक सरकार ने शनिवार (4 मार्च) को कहा कि एक बात तो साफ है कि 60 फीसदी मतदाताओं ने बीजेपी को वोट नहीं दिया. बीजेपी विरोधी वोट बंटे इसके लिए कई चीजें हुईं. लोगों ने इस बात पर चर्चा करनी शुरू कर दी है कि बीजेपी को दोबारा सत्ता में लाने में किसने मदद की. यह बहुत स्पष्ट है. मुझे किसी पार्टी का नाम लेना पसंद नहीं. 


सीपीआई(एम) नेता माणिक सरकार ने आगे कहा कि ये चुनाव परिणाम अप्रत्याशित है क्योंकि सरकार का प्रदर्शन शून्य था, लोकतंत्र पर हमला हुआ और मतदाताओं के मताधिकार का स्वतंत्र रूप से प्रयोग करने का अधिकार छीन लिया गया. मतदान को तमाशे में बदल दिया गया. संविधान ने काम नहीं किया. त्रिपुरा में बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 33 सीट जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है. 


वाम-कांग्रेस गठबंधन को 14 सीटें मिलीं


पूर्ववर्ती राजघराने के वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मा की टिपरा मोथा पार्टी को 13 सीट मिलीं. जबकि वाम-कांग्रेस गठबंधन ने 14 सीट हासिल कीं. देबबर्मा की पार्टी ने जनजातीय क्षेत्र में वाम दल के वोट में सेंध लगाई. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का बेहद खराब प्रदर्शन रहा. टीएमसी ने 28 सीट पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली. टीएमसी का वोट प्रतिशत (0.88 प्रतिशत) नोटा से भी कम रहा. 


कैसा रहा लेफ्ट का प्रदर्शन?


मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 25 साल तक त्रिपुरा पर शासन करने के बाद 2018 में सत्ता खो दी थी. पिछली बार पार्टी ने केवल 16 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार पार्टी ने 47 सीट पर चुनाव लड़ा और 24.62 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के साथ 11 सीट पर जीत हासिल की. अन्य वाम दल-फॉरवर्ड ब्लॉक, सीपीआई और आरएसपी-अपना खाता खोलने में विफल रहे. कांग्रेस ने 13 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन पार्टी तीन सीट ही जीत पाई. कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी 8.56 प्रतिशत रही.


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