देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने गुरुवार (27 नवंबर) को कई मुद्दों पर न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात की. उन्होंने कहा कि मैं सोशल मीडिया पर गौर नहीं करता. मेरा दृढ़ विश्वास है कि किसी न्यायाधीश को यह सोचकर फैसला नहीं सुनाना चाहिए कि लोग उसे पसंद करेंगे या नहीं. जब तथ्य, दस्तावेज़ और सबूत उनके सामने हों तो उन्हें कानून के अनुसार फैसला करना चाहिए, न कि इस आधार पर कि सोशल मीडिया या जनता क्या सोचेगी.

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पूर्व CJI ने कहा कि सोशल मीडिया का मिसयूज़ हो रहा है सभी को मिलकर इसके लिए काम करना पड़ेगा और संसद को क़ानून बनाना चाहिए, जो इस ख़तरे को कंट्रोल कर सके. विपक्षी दलों के संविधान खतरे वाले बयान को लेकर उन्होंने कहा कि मैं नहीं मानता कि संविधान ख़तरे में है. उन्होंने आगे कहा कि संविधान बदला ही नहीं जा सकता 1973 का जजमेंट एकदम क्लियर है.

ज्यूडिशरी में हस्तक्षेप पर क्या बोलेजस्टिस गवई ने कहा कि सरकार का ज्यूडिशरी में कोई हस्तक्षेप नहीं है. ये बात ग़लत है कि सरकार का ज्यूडिशरी में कोई हस्तक्षेप होता है. कॉलेजियम किसी के दबाव में काम नहीं करता है. उन्होंने कहा कि मैं अपने कार्यकाल से पूरी तरह संतुष्ट हूं. मुझे नहीं लगता कि कोई भी काम जो मैं करना चाहता था और नहीं कर पाया. उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद पद लेना ग़लत नहीं है. मैंने कभी नहीं कहा कि ये ग़लत है.

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भगवान विष्णु पर दिए बयान को लेकर क्या कहाभगवान विष्णु पर दिए बयान मामले को लेकर जस्टिस गवई ने कहा कि जज को पर्सनल टारगेट करके ट्रोल करना सही नहीं है. भगवान विष्णु के बारे में मेरा बयान तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है. मैंने भगवान विष्णु के बारे में ऐसा कुछ नहीं बोला था. नक्सलवाद को लेकर कहा कि मुझे ख़ुशी है कि आज काफ़ी इलाक़ों से नक्सलवाद का उन्मूलन हो रहा है. एक ज़माने में महाराष्ट्र का गढ़चिरौली बहुत बड़ा केंद्र था, आज ये सब बहुत कम हो गया है.

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