'मैं मंगलवार (25 नवंबर) की शाम को डेढ़ घंटा टहला. प्रदूषण की वजह से मेरी तबीयत बिगड़ गई. हमें जल्द इसका हल निकालना होगा. दिल्ली के मौसम की वजह यह हो रहा है. अब टहलना भी मुश्किल है.'

Continues below advertisement

यह बयान किसी आम आदमी का नहीं, बल्कि देश के CJI सूर्यकांत का है. दिल्ली में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि CJI सूर्यकांत भी इससे प्राभावित दिखे. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) दिन ब दिन खतरनाक होता जा रहा है. अब तो सर्दियां भी शुरू हो गईं हैं, जिससे प्रदूषण तेजी से बढ़ेगा. लेकिन ऐसा क्यों, तो ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि सर्दियों में दिल्ली के हालात कितने खराब हो गए, ठंड में प्रदूषण क्यों बढ़ता है और इस बार कितना ठिठुरेगी दिल्ली...

सवाल 1- इस समय दिल्ली में प्रदूषण की वजह से हालात कितने खराब हैं?जवाब- AQI.in के मुताबिक 27 नवंबर की सुबह 1 बजे दिल्ली का प्रदूषण स्तर 421 AQI था. जो बहुत खराब की कैटेगरी में आता है. वहीं 20 नवंबर को यह 511 पहुंच गया था, जो खतरनाक से भी ज्यादा माना जाता है.

Continues below advertisement

दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने GRAP यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान को और सख्त कर दिया है. अब कई बड़े कदम शुरुआत में ही लागू होंगे, ताकि हवा बिगड़ने से पहले हालात संभल सकें. CAQM ने बताया कि नए कदम वैज्ञानिक डेटा, विशेषज्ञों की राय और पिछले अनुभवों के आधार पर लिए गए हैं. सभी एजेंसियों को इन्हें तुरंत लागू करने के निर्देश मिले हैं.

अब जो नियम पहले GRAP-2 पर लगते थे, वे अब GRAP-1 में ही लागू होंगे. GRAP-3 के कई नियम GRAP-2 में और GRAP-4 के नियम अब GRAP-3 में लगेंगे. GRAP-4 में 50% कर्मचारियों को वर्क-फ्रॉम-होम देने का प्रावधान भी शामिल है.

जो नियम पहले AQI 450+ होने पर लागू होते थे, अब AQI 401–450 के बीच में होने पर ही लागू होंगे. इनमें सरकारी, निजी और नगर निगम दफ्तरों में सिर्फ 50% स्टाफ बुलाना, बाकी कर्मचारियों के लिए वर्क-फ्रॉम-होम शामिल है. इसके अलावा केंद्र सरकार भी अपने कर्मचारियों पर यह मॉडल अपना सकती है.

अब सर्दियों की वजह से प्रदूषण और ज्यादा बढ़ सकता है, जिस वजह से प्रशासन पहले ही सतर्क हो गया है.

सवाल 2-  सर्दियों में प्रदूषण बढ़ने का लॉजिक क्या है?जवाब- सर्दियों में धरती की सतह पर जितनी भी सॉलिड चीजें हैं, जैसे सड़कें, इमारतें, पुल वगैरह, ये सभी सूरज से मिली गर्मी को रात में रिलीज करती हैं. रिलीज की गई गर्मी जमीन से 50 से 100 मीटर ऊपर उठकर एक लॉकेबल लेयर बना लेती है. इस वजह से वातावरण की हवा ऊपर नहीं उठ पाती. मतलब ये है कि ये हवा वायुमंडल के निचले लेवल पर ही लॉक रहती है.

इस लेयर के नीचे की जमीन के पास की हवा ठंडी होती है और ठंडी हवा में मूवमेंट न के बराबर होता है. प्रदूषण के पार्टिकल भी इसी हवा में मिल जाते हैं और ऊपर नहीं उठ पाते हैं, जिससे प्रदूषण भी ठंडी हवा के साथ लॉक हो जाता है. यही कारण है कि सर्दियों में प्रदूषण बढ़ता है. यही स्मॉग और फॉग की वजह बनता है.

सवाल 3- तो क्या सभी देशों में सर्दी में प्रदूषण बढ़ जाता है?जवाब- ये जरूरी नहीं कि जहां सर्दी होगी, वहां पॉल्यूशन बढ़ जाएगा. पॉल्यूशन सर्दियों में पैदा नहीं होता, बल्कि अगर पॉल्यूशन है, तो सर्दी की वजह से लॉक हो जाता है. दुनिया के कई देश हैं, जहां औसत तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है, लेकिन पॉल्यूशन का नामोनिशान तक नहीं है.

कम एयर पॉल्यूशन वाले देशों की क्लीन एयर क्वालिटी वाली एक लिस्ट है. आइसलैंड एक ऐसा देश है जहां तापमान 3 से 5 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. इनके अलावा फिनलैंड, कनाडा, न्यूजीलैंड और डेनमार्क भी इसी लिस्ट में शामिल है.

सवाल 4- क्या बाहर प्रदूषण होने से घर के अंदर भी असर पड़ता है?जवाब- हां, प्रदूषण का असर घर के अंदर की हवा पर भी पड़ता है. बाहर की हवा के प्रदूषक तत्व हमारे घर के भीतर की हवा को भी दूषित करते हैं. घर में वेंटीलेशन की कमी प्रदूषकों को घरों में घुसने में मदद कर सकती है. प्रदूषित तत्व घर की हवा में शामिल हो जाएं और घर में हवा के बाहर जाने के लिए खिड़कियां वगैरह ज्यादा न हों, तो प्रदूषक तत्व बाहर नहीं निकल पाते और घर की हवा में इकठ्ठा हो जाते हैं.

बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद और धूल के कण की मौजूदगी घर में रह रहे लोगों को भी बीमार कर सकती है. इसीलिए घर के आसपास हवादार पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ज्यादातर पेड़ ऑक्सीजन रिलीज करते हैं और कार्बन डाई-ऑक्साइड लेते हैं. दिल्ली में तो प्रदूषण के चलते लोग घरों में एयर फिल्टर लगाने लगे हैं. सर्दियों के मौसम में तो एहतियात ज्यादा करनी पड़ती है.

सवाल 5- भारत में इस साल सर्दियों का पैटर्न कैसे अलग रहेगा?जवाब- भूमध्य रेखा के आसपास प्रशांत महासागर की सतह पर अक्टूबर के शुरुआती हफ्ते में काफी ठंड पड़ने लगी थी, यानी इस बार सर्दियां बेहद सख्त रहेंगी. भारत में मानसून भी जल्दी आया था और औसत से 8% ज्यादा बारिश हुई. इसके चलते गर्मियां बहुत गर्म नहीं थीं. अब समय से पहले ही सर्दियों ने दस्तक दे दी.

मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, उत्तर भारत में तापमान में भारी गिरावट की संभावना है यानी उत्तर भारत के राज्यों में शीत लहर ज्यादा दिन रहेगी. तापमान सामान्य से काफी नीचे जा सकता है, जिससे ठंड और कोहरे का असर बढ़ेगा. पहाड़ी राज्यों में भी बर्फबारी जल्दी शुरू हो सकती है और देर तक जारी रहने का अनुमान है. इससे पर्यटन पर भी असर पड़ेगा. जहां एक तरफ बर्फीले नजारों के लिए पर्यटकों की भीड़ बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन को सड़क बंद होने और ठंड से निपटने की ज्यादा तैयारी करनी होगी. साथ ही प्रदूषण पर कंट्रोल करना जरूरी होगा.