नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की आर्थिक गतिविधियों को बाधित किया है. भारत जैसे देशों में इसका असर और ज्यादा है क्योंकि इसकी स्वास्थ्य संबंधी संरचना विकसित देशों के मुकाबले उतनी सुदृढ नहीं है.


भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में अनुमानित लक्ष्य से थोड़ा ज्यादा समय लगेगा. इसकी सबसे प्रमुख वजह है कोरोना महामारी और उसका असर. ये मानना है देश के जाने माने अर्थशास्त्री और केंद्र सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी का. एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में विरमानी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान हालात और उसकी संभावनाओं के बारे में अपनी राय रखी. 


उनका मानना है कि कोरोना के दौरान थोड़ा लड़खड़ाने के बाद अब भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है. विरमानी के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन बनाने का जो लक्ष्य रखा गया है वो जरूर पूरा होगा. हालांकि उन्होंने ये भी माना कि महामारी के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था को थोड़ा झटका जरूर दिया है. उनका अनुमान है कि इस झटके के चलते 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाने में एक से दो साल की देरी हो सकती है. मोदी सरकार ने 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर के आकार का बनाने का लक्ष्य तय किया है.


साल 2007 से 2009 तक मनमोहन सिंह सरकार के पहले कार्यकाल में सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद विरमानी का मानना है कि मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में आर्थिक सुधार के जो कदम उठाए हैं उनसे देश में निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी. 11 अगस्त को खत्म हुए संसद के मानसून सत्र में  कराधान कानून (संशोधन) बिल का पारित होना एक ऐसा ही उदाहरण है जिसमें Retrospective Tax को खत्म किया गया है. बिल पारित होने के बाद इनकम टैक्स विभाग ने भी एक ट्वीट कर इस बिल के 5 फायदे गिनाए थे जिनमें से एक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करना भी था.


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