रांची: सीबीआई की एक विशेष अदालत ने चारा घोटाले के दुमका कोषागार से 34 करोड़ 91 लाख 54 हजार 844 रुपये के गबन से जुड़े एक मामले में आज 37 आरोपियों को दोषी करार दिया. वहीं पांच को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. इस मामले में दोषी करार दिए गए लोगों में सभी तत्कालीन पशुपालन और कोषागार अधिकारी और चारा आपूर्तिकर्ता हैं.


केन्द्रीय जांच ब्यूरो की शिवपाल सिंह की अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े इस इक्यावनवें मामले आरसी 45ए/96ए में फैसला सुनाते हुए जहां 37 आरोपियों को दोषी करार दिया वहीं पांच आरोपियों को बरी कर दिया. साल 1991 से 1995 के बीच हुए इस घोटाले में अदालत ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 120बी, 420, 409, 467, 468, 471, 477ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी करार दिया. अदालत अभियुक्तों की सजा के बिंदु पर कल से सुनवाई करेगी.


अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए हरीश खन्ना, बीनू झा, मधु मेहता, लालमोहन प्रसाद और सरस्वती चंद्र को बरी कर दिया. चारा घोटाले के चार अन्य मामलों में सजायाफ्ता होने के बाद आरजेडी के जेल में बंद अध्यक्ष बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव समेत कोई भी राजनीतिज्ञ और वरिष्ठ प्राशासनिक अधिकारी इस मामले में आरोपी नहीं थे.


इस घोटाले में तत्कालीन पशुपालन अधिकारियों ने कोषागार के अधिकारियों से मिलीभगत कर फर्जी ढंग से चारा आपूर्तिकर्ताओं के नाम पर 34 करोड़ 91 लाख रुपये से अधिक की अवैध निकासी की. दस अक्तूबर, 2001 को इस मामले में कुल 72 आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने अदालत में अरोपपत्र दाखिल किये थे.


इस मामले की सुनवाई के दौरान जहां सत्रह आरोपियों की मौत हो गयी वहीं एक आरोपी एस एन दूबे को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था. इनके आलावा पांच आरोपी अभी तक फरार हैं जबकि दो ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. इसके बाद उन्हें सजा सुना दी गयी थी और अब वह इस दुनिया में नहीं हैं.


सीबीआई ने पांच अन्य आरोपियों रामेश्वर प्रसाद चैधरी, डा. मोहम्मद सईद, शैलेश प्रसाद सिंह, नरेश प्रसाद और शिव कुमार पटवारी को इस मामले में सरकारी गवाह बनाया. अदालत कल से इस मामले में अभियुक्तों की सजा के बिंदु पर सुनवाई करेगी और उनकी सजा का एलान करेगी. चारा घोटाले के चार मामलों में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव फिलहाल न्यायिक हिरासत में बंद हैं और बीमारी का इलाज कराने दिल्ली के एम्स में हैं.