नई दिल्ली: राजनीतिक प्रोपोगंडा हो या रेप के वीडियो, जातिगत भावनाओं को भड़काते संदेश हों या फिर हाल में केरल की बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा में भी वायरल हो रहे झूठे वीडियो. फेक न्यूज़ भारत में न केवल सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रहे हैं, बल्कि व्हाट्सएप जैसी वैश्विक कंपनी की साख के लिए भी संकट बन रहे हैं. इस समस्या के बीच सरकार ने सख्ती के तार कसे तो व्हाट्सएप के सीईओ क्रिस डेनियल्स भारत आए. भारत में सबसे ज़्यादा पैठ रखने वाली सोशल मैसेज कम्पनी व्हाट्सएप के सीईओ ने केंद्रीय कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद से मुलाकात की. करीब पौन घन्टा चली इस मुलाकात के बाद व्हाट्सएप सीईओ सवालों के जवाब से कतराते नज़र आए. हालांकि बैठक के बाद केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि बैठक में उन्होंने भारत की चिंताओं को सामने रखा. साथ की कम्पनी से आग्रह किया कि वो इस बारे में जल्द कार्रवाई करे. इतना ही नहीं सरकार ने व्हाट्सएप को इस बात के लिए भी आगाह किया कि यदि सुधार रोकथाम न हुई तो कम्पनी को भारत में आपराधिक घटनाओं के बढ़ावा देने में मदद का जिम्मेदार भी ठहराया जा सकता है. बता दें कि भारत में प्रतिमाह करीब 20 करोड़ एक्टिव यूजर की बड़ी संख्या रखने वाली कम्पनी व्हाट्सएप अब बैंकिंग के क्षेत्र में भी उतरने को तैयार है. लिहाज़ा सरकार की कोशिश उसकी अर्जी पर भारतीय रिज़र्व बैंक की मुहर लगने से पहले अपनी चिंताओं पर अमेरिकी कंपनी की भारत में जवाबदेही तय कर लेना चाहती है. बताया जाता है कि बैठक में जब व्हाट्सएप सीईओ ने रविशंकर प्रसाद के आगे बैंकिंग क्षेत्र में उतरने और पेमेंट गेटवे सर्विस शुरू करने की योजना पर भी बात की. हालांकि प्रसाद ने उन्हें बताया कि इस बारे में मंत्रालय अपनी राय रिज़र्व बैंक को पहले ही भेज चुका है. सरकार का यह मत है कि व्हाट्सएप के ज़रिए पैसों के लेनदेन की सुविधा तभी दी जा सकती है जब कम्पनी अपना वित्तीय डेटा भारत में रखने को राजी हो. साथ ही एक भारतीय कॉरपोरेट कंपनी बने ताकि ज़रूरत पड़ने पर भारत के कानून के मुताबिक कार्रवाई की जा सके. जिसके पहले भारत की शिकायत के बाद ही व्हाट्सएप ने उपभोक्ताओं के लिए मैसेज फॉरवार्ड  पर एक बार में अधिकतम 5 उपभोक्ताओं की सीमा तय की थी. इतना ही नहीं कंपनी भारत में एक शीर्ष पद पर नियुक्ति की कवायद भी शुरू कर चुकी है. भारत आए क्रिस डेनियल्स ने मंत्री को सरकार की तरफ से रखी चिंताओं पर कार्रवाई का भरोसा तो दिलाया. मगर सरकार आगे पत्ते खोलने से पहले अपनी सभी तीन मांगों के पूरा होने का इंतज़ार कर रही है. ज़ाहिर है की आपराधिक घटनाओं के बहाने व्हाट्सएप को अधिक जवाबदेही के दायरे में लाने के पीछे चिंता 2019 के चुनावों में इसके सियासी इस्तेमाल पर नियंत्रण की भी है. यह भी पढ़ें-

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