नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में हुए अग्निकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है. इस अग्निकांड में 43 लोगों की मौत हो गई जबकि 53 से अधिक लोग घायल हो गए. इस घटना के बाद दिल्ली एनसीआर में अवैध रूप से फैक्ट्री का संचालन करने वालों में हड़कंप मच गया है. अधिक मुनाफा बनाने, अधिकारियों की लापरवाही और गरीबी की लाचारी की दास्तान है दिल्ली का ये अग्निकांड.

 दिल्ली में करीब 5 हजार छोटी बड़ी फैक्ट्रियां है जिनमें 3 लाख से अधिक लोग काम करते हैं. काम करने वाले अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश, बिहार से आते हैं. दिल्ली के रानी झांसी रोड स्थित फिल्मिस्तान के पास जिस बिल्डिंग में आग लगने की घटना हुई उसमें मरने वाले अधिकतर मजदूर यूपी और बिहार के थे. जानकारी मिल रही है कि चार मंजिला इस इमारत में छोटी-छोटी कई फैक्ट्रियां संचालित की जा रही थीं. यहां दो शिफ्टों में काम चल रहा था. 24 घंटे मजदूर काम करते थे.


यहां काम करने वाले मजदूरों में अधिकतर मजदूरों का वेतन 10 हजार रुपये से अधिक नहीं था, इसलिए ये मजदूर इसी बिल्डिंग में खाना बनाते थे और वहीं सोते भी थे. घटना सुबह की बताई जा रही है. फायर बिग्रेड को पहली सूचना सुबह पांज बजे के करीब मिली. घटना के समय बिल्डिंग में कितने मजदूर थे इसकी अभी तक कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है.




बिल्डिंग में सुरक्षा के कोई इंतजाम भी नहीं थे. इससे माना जा रहा है कि बिल्डिंग में चलने वाली फैक्ट्रियां पूरी तरह से अवैध थीं. दिल्ली में एकमात्र यही इलाका नहीं है जहां इस तरह की फैक्ट्रियों का संचालन हो रहा है. दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह की फैक्ट्रियां चल रही हैं जहां मजदूरों की जान से हर दिन खिलवाड़ हो रहा है. डायरेक्टोरेट ऑफ इकोनॉमिक स्टैटिस्टिक्स के सर्वे के अनुसार दिल्ली में सबसे अधिक फैक्ट्रियां दक्षिण दिल्ली में हैं. दूसरे नंबर पर उत्तर पश्चिम दिल्ली है, तीसरे नंबर पर पश्चिमी दिल्ली और चोथे नंबर पर पूर्वी दिल्ली है. इसके अलावा सेंटर डिस्ट्रिक्ट में भी 98 फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं.

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घरों में चोरी छिपे चलने वाली फैक्ट्रियां इसमें शामिल नहीं है. ऐसा नहीं है कि इनकी जानकारी संबंधित विभाग या अधिकारियों को नहीं है. अधिकारियों की कमजोरी का फैक्ट्री संचालक भरपूर फायदा उठाते हैं और इन्हें लापरवाही की वजह से आज दिल्ली में यह भीषण दुर्घटना घटी है. अगर समय रहते प्रभावी कदम उठाए जाते थे तो इतने मजदूरों की जिंदगी बचाई जा सकती थी.


इस घटना के बाद से राजधानी दिल्ली में अवैध फैक्ट्रियों का संचालन करने वाले अंडरग्राउंड हो गए हैं. ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में मजदूरों को वापस गांव जाने के लिए कहा गया है. इन मजदूरों को यह भरोसा दिया जा रहा है कि कुछ दिनों में सबकुछ ठंडा हो जाएगा और उसके बाद फिर से काम शुरू होगा.