इंदौर: देश में कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक इंदौर है. इंदौर में पुलिस चुनौतीपूर्ण हालात पर नियंत्रण बरकरार रखने के लिये अपने काम करने का तरीका बदल रही है. इस सिलसिले में कर्फ्यू तोड़ने के बाद घर में छिप जाने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिये प्राथमिकी की "होम डिलीवरी" की तैयारी की जा रही है. शहर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) पुनीत गहलोत का कहना है कि हमें पता चला है कि शहर के कई लोग पुलिस की गश्त के दौरान तो अपने घर में रहते हैं. लेकिन जैसे ही पुलिस की गश्त खत्म होती है, वे कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए बेवजह बाहर घूमने लगते हैं. ड्रोन कैमरों की मदद से ऐसे लोगों की पहचान की जा रही है.

सीएसपी ने बताया कि आरोपियों की पहचान के बाद भारतीय दंड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी का आदेश नहीं मानना) और धारा 269 (ऐसा लापरवाही भरा काम करना जिससे किसी जानलेवा बीमारी का संक्रमण फैलने का खतरा हो) के तहत प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. उन्होंने बताया कि प्राथमिकी की प्रति इन आरोपियों के घर पहुंचा दी जायेगी. इसके बाद कानून के तहत उचित कदम उठाये जायेंगे.

हाल के कुछ खराब तजुर्बों के बाद पुलिस अलग-अलग मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी में भी निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) का इस्तेमाल करते हुए सावधानी बरत रही है. सीएसपी ने बताया कि हमने हाल ही में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था. बाद में जांच में वे कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये. नतीजतन हमें एक पुलिस थाने के लगभग पूरे स्टाफ को पृथक केंद्र में भेजना पड़ा. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में कोविड-19 के 696 मरीज मिले हैं, जिनमें एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) और दो थाना प्रभारी शामिल हैं. इनमें से 39 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है.

कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद से ही प्रशासन ने 25 मार्च से इंदौर की शहरी सीमा में कर्फ्यू लगा रखा है.

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