नई दिल्लीः भविष्य निधि पर ब्याज दर को लेकर ईपीएफओ और वित्त मंत्रालय आमने सामने है. एक तरफ ईपीएफओ ब्याज दर बढ़ाने पर अड़ा हुआ है तो दूसरी तरफ वित्त मंत्रालय का कहना है कि ब्याज दर को कम किया जाए. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की ओर से पीएफ पर ब्याज बढ़ाने के लिए भेजे गए प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने अस्वीकार कर दिया है. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक वित्त मंत्रालय चाहता है कि ईपीएफओ निधी से जुड़े कर्मचारियों को 8.65 प्रतिशत की दर से ईपीएफ पर ब्याज न दे.

इससे पहले अप्रैल में खबर आई थी कि वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिये कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर 8.65 फीसदी ब्याज दर को मंजूरी दे दी है. इससे पिछले वित्त वर्ष में ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को 8.55 फीसदी की दर से ब्याज दिया था.

ऐसे में अगर ईपीएफओ वित्त मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश को लागू करता है तो देश भर में करीब 8.5 करोड़ इम्प्लाइज को झटका लग सकता है.

ईपीएफओ की फैसला लेने वाली सर्वोच्च इकाई केन्द्रीय न्यासी बोर्ड (सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी) ने इस साल फरवरी में ईपीएफ पर ब्याज दर बढ़ाकर 8.65 फीसदी करने का फैसला लिया था.

इससे पहले 2017-18 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.55 फीसदी थी. ईपीएफओ ने 2016-17 में ईपीएफ पर ब्याज दर 2015-16 के 8.80 फीसदी से घटाकर 8.65 फीसदी कर दी थी.

151.67 करोड़ रुपये का सरप्लस रहेगा

ईपीएफओ के अनुमान के मुताबिक 2018-19 के लिये 8.65 फीसदी की दर से ब्याज उपलब्ध कराये जाने के बाद 151.67 करोड़ रुपये का सरप्लस रहेगा. पिछले वित्त वर्ष में 8.7 फीसदी की दर से ब्याज उपलब्ध कराये जाने पर 158 करोड़ रुपये का घाटा होता. यही वजह है कि संगठन ने 31 मार्च 2019 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष के लिये 8.65 फीसदी की दर से ब्याज दिये जाने का फैसला किया है.

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