जम्मू-कश्मीर की खाद्य आपूर्ति व्यवस्था और लॉजिस्टिक्स ढांचे के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर पहली बार फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) की फूडग्रेन फ्रेट रेक अनंतनाग गुड्स टर्मिनल पहुंची है, जिससे कश्मीर घाटी की खाद्य सुरक्षा को बड़ा बल मिलने की उम्मीद है.

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यह मालगाड़ी पंजाब के अजीतवाल स्टेशन से रवाना हुई थी. इसमें 21 बीसीएन (BCN) वैगनों के माध्यम से करीब 1,384 टन आवश्यक खाद्यान्न लाया गया है. यह रेक लगभग सुबह साढ़े 11 बजे अनंतनाग गुड्स टर्मिनल पर पहुंची. घाटी में रेल मार्ग से खाद्यान्न आपूर्ति की ये ऐतिहासिक शुरुआत है. अनंतनाग तक इस फूडग्रेन फ्रेट रेक का पहुंचना कश्मीर घाटी में रेल मार्ग के जरिए सीधे और बड़े पैमाने पर खाद्यान्न आपूर्ति की औपचारिक शुरुआत है.

समय और लागत दोनों की बचत इससे पहले घाटी में खाद्यान्न की आपूर्ति मुख्य रूप से सड़क मार्ग पर निर्भर थी, जो मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अक्सर बाधित होती रही है. रेल मार्ग से इतनी बड़ी थोक मात्रा में खाद्यान्न परिवहन शुरू होने से न केवल आपूर्ति अधिक सुगम और विश्वसनीय होगी, बल्कि समय और लागत दोनों की भी बचत होगी. FCI और भारतीय रेलवे की यह संयुक्त पहल, घाटी में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को और अधिक मजबूत बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.

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इस उपलब्धि के बाद सर्दियों में घाटी में जरूरी खाद्यान्न आपूर्ति को लेकर बड़ी राहत मिलने वाली है, क्योंकि इस फूडग्रेन रेक का आगमन ऐसे समय में हुआ है, जब कश्मीर घाटी कठोर सर्दी (40 दिन का चिल्लई कलान) की ओर बढ़ रही है. सर्दियों के मौसम में भारी बर्फबारी और भूस्खलन की वजह से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के बार-बार बंद होने से जरूरी चीजों की आपूर्ति प्रभावित होती है. ऐसे में अब रेल परिवहन एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में उभरकर सामने आया है.

आम जनता को नहीं होगी खाद्यान्न की कमी एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस पहल से सर्दियों के दौरान खाद्यान्न की उपलब्धता तो सुनिश्चित होगी ही और आम जनता को भी किसी भी तरह की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा. अनंतनाग तक फूडग्रेन फ्रेट रेक का सफल संचालन आने वाले भविष्य में कश्मीर घाटी के बाकी हिस्सों तक रेल आधारित आपूर्ति विस्तार का रास्ता मजबूत करेगा. 

यह कदम न केवल खाद्य सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि घाटी के समग्र आर्थिक और लॉजिस्टिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा. FCI और भारतीय रेलवे की ये नई पहल, कश्मीर घाटी के लिए एक नई शुरुआत है.

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