राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत को हिंदू राष्ट्र बताते हुए रविवार (21 दिसंबर) को कहा कि इसके लिए किसी संवैधानिक स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सत्य है. आरएसएस की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और तब तक हिंदू राष्ट्र रहेगा, जब तक देश में भारतीय संस्कृति का सम्मान किया जाता रहेगा.

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कोलकाता में आरएसएस के '100 व्याख्यान माला' कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सूर्य पूर्व से उगता है. यह कब से होता आ रहा है, यह हमें नहीं पता तो क्या इसके लिए भी संवैधानिक स्वीकृति की आवश्यकता है? हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है. जो भी भारत को अपनी मातृभूमि मानता है, वह भारतीय संस्कृति की कद्र करता है. जब तक हिंदुस्तान की धरती पर एक भी व्यक्ति जीवित है जो भारतीय पूर्वजों की महिमा में विश्वास रखता है और उसका सम्मान करता है तब तक भारत हिंदू राष्ट्र रहेगा. यही संघ की विचारधारा है. 

हमारा देश हिंदू राष्ट्र है यही सच्चाई है- भागवतमोहन भागवत ने कहा कि अगर संसद कभी संविधान में संशोधन करके वह शब्द जोड़ दे, चाहे वे ऐसा करें या न करें, कोई बात नहीं. हमें उस शब्द से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हम हिंदू हैं और हमारा देश हिंदू राष्ट्र है और यही सच्चाई है. जन्म पर आधारित जाति व्यवस्था हिंदुत्व की पहचान नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस हमेशा से यह तर्क देता रहा है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि यहां की संस्कृति और बहुसंख्यक लोगों का हिंदू धर्म से जुड़ाव है. हालांकि, 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द मूल रूप से संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा नहीं था, बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन अधिनियम 1976 के जरिए समाजवादी शब्द के साथ इसे जोड़ा गया.

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'आरएसएस कट्टर राष्ट्रवादी, लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं'भागवत ने कहा कि लोगों को यह समझ आ गया है कि यह संगठन हिंदुओं की रक्षा की वकालत करता है और कट्टर राष्ट्रवादी है, लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर यह धारणा है कि हम मुस्लिम विरोधी हैं तो जैसा कि मैंने कहा आरएसएस का काम पारदर्शी है. आप कभी भी आकर खुद देख सकते हैं और अगर आपको ऐसा कुछ होता हुआ दिखाई दे तो आप अपने विचार बनाए रखें. अगर आपको ऐसा कुछ दिखाई न दे तो आप अपने विचार बदल लें. आरएसएस के बारे में बहुत कुछ समझना बाकी है, लेकिन अगर आप समझना नहीं चाहते तो कोई भी आपका मन नहीं बदल सकता. 

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