Lok Sabha Election 2024: नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार (8 अप्रैल) को जम्मू-कश्मीर के मतदाताओं से कहा कि अगर वे आर्टिकल-370 को निरस्त करने के फैसले से संतुष्ट हैं तो वे पार्टी को वोट न दें. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को "बीजेपी और उसकी 'बी' एवं 'सी' टीम को हराकर दिल्ली में एक संदेश भेजना चाहिए." पार्टी के एक बयान में कहा गया कि अब्दुल्ला ने पार्टी मुख्यालय में उत्तरी कश्मीर संसदीय सीट के निर्वाचन क्षेत्र प्रभारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की.


नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से जारी किए गए बयान के मुताबिक फारूक अब्दुल्ला ने केंद्रशासित प्रदेश के अन्य दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने बार-बार साबित किया है कि उनका बीजेपी के साथ मौन समझौता है. लोकसभा चुनाव 2024 के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "हर गुजरते दिन के साथ हमारा रुख सही साबित हो रहा है. हालांकि, मतदान की तारीखों पर उन सभी (टीम) का वही हश्र होगा. मैं समझ सकता हूं कि लोग अपने वोट के माध्यम से बीजेपी को करारा जवाब देने के लिए तैयार हैं." 


बीजेपी के खिलाफ आक्रोश की भावना: फारूक अब्दुल्ला


फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी के खिलाफ आक्रोश की भावना है और इसे प्रदर्शित करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, "जम्मू के लोगों में यह अहसास बढ़ रहा है कि बीजेपी ने उन्हें उनकी जमीन, नौकरी के अधिकार और कॉन्ट्रैक्ट से वंचित किया है. विकास के अपने वादों पर खरा उतरने में बीजेपी की पूरी विफलता ने उनके दोहरे चरित्र को भी बुरी तरह उजागर कर दिया है."


लोगों को देना चाहिए दिल्ली को संदेश: फारूक अब्दुल्ला


अब्दुल्ला ने कहा कि बीजेपी की टीम 'बी' अब लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को खुला सपोर्ट कर रही है. उन्होंने कहा, "नेशनल कॉन्फ्रेंस उम्मीदवारों को हराने के लिए उनके द्वारा रची गई साजिशें बेकार साबित होंगी. जो लोग बीजेपी को वोट देना चाहते हैं, उन्हें सीधे तौर पर बीजेपी को वोट देना चाहिए, क्योंकि अंततः ये ए, बी, सी और डी टीमें सत्ता की बातचीत करने के लिए आपका जनादेश बीजेपी को बेचेंगी. इन बी टीमों के पक्ष में डाला गया हर वोट बीजेपी को जाएगा."


फारुक अब्दुल्ला ने कहा, "लोगों को फैसला लेना चाहिए और दिल्ली को संदेश देना चाहिए. अगर जम्मू-कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 के फैसले से संतुष्ट हैं तो उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस को वोट नहीं देना चाहिए." दरअसल, सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था, जिसमें एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख शामिल था. 


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