नई दिल्ली: लगातार ज़ोर पकड़ते किसान आंदोलन के समाधान का रास्ता खोजने के इरादे से आज एक बार फिर सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत होगी. हालांकि आठवें दौर की इस बातचीत से पहले किसान नेताओं ने अपना रुख़ और कड़ा करते हुए तीनों क़ानून वापस करने की मांग की है जिससे एक बार फिर बातचीत का परिणाम निकलना मुश्किल लगता है.


बातचीत से एक दिन पहले यानि गुरुवार को इस मुद्दे पर हलचल अचानक तेज हो गई. सिखों के धार्मिक गुरु और नानकसर गुरुद्वारा के प्रमुख बाबा लख्खा सिंह ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाक़ात कर सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की. तोमर ने उन्हें बताया कि सरकार समस्या के समाधान के लिए 10 क़दम आगे बढ़ी है लेकिन किसान तीनों क़ानून वापस लेने पर अड़ी है.


अगर ज़रूरत पड़े तो वो किसानों से बात करने को तैयार- लख्खा सिंह


बाबा लख्खा सिंह ने सरकार से कहा कि मामले के शांतिपूर्वक समाधान के लिए अगर ज़रूरत पड़े तो वो किसानों से बात करने को तैयार हैं. तोमर ने अपनी ओर से कहा कि क़ानून वापस लेने के अलावा और जो भी विकल्प किसानों की ओर से आएगा, सरकार उसपर ज़रूर विचार करेगी.


वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब के दो बीजेपी नेताओं, हरजीत ग्रेवाल और सुरजीत ज्याणी , से मुलाक़ात कर आंदोलन के बारे में जानकारी ली. दोनों बीजेपी नेताओं ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाक़ात की थी. माना जा रहा है कि दोनों नेताओं से मुलाक़ात के दौरान अमित शाह ने पंजाब में किसान आंदोलन के बाद के हालात पर चर्चा की.


किसान नेताओं का रोज़ कड़ा हो रहा है स्टैंड


हालांकि पहले की तरह आज की बातचीत से भी किसी समाधान के निकलने की संभावना काफ़ी कम दिख रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है किसान नेताओं का रोज़ कड़ा होता स्टैंड. एक बार फिर किसान नेताओं ने ये साफ़ कर दिया कि उन्हें तीनों क़ानून वापस लेने से कम कुछ भी मंज़ूर नहीं होगा . किसान आंदोलन में शामिल नेता योगेंद्र यादव ने बाबा लख्खा सिंह के मध्यस्थता के प्रस्ताव को भी सरकारी प्रोपेगेंडा क़रार दिया.


ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि आज की बातचीत में सरकार किसानों के सामने ये प्रस्ताव रख सकती है कि क़ानूनों में बदलाव कर इसे लागू करने का फ़ैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया जाए. लेकिन किसान नेताओं ऐसे किसी भी प्रस्ताव को बातचीत से पहले ही खारिज़ करते हुए यर साफ़ कर दिया कि तीनों क़ानून वापस लेने से कम कुछ भी मंज़ूर नहीं होगा.


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