नई दिल्ली: नए किसान कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने बातचीत के जरिए मसले के हल के लिए एक कमेटी का भी गठन किया है. हालांकि, सुनवाई के दौरान किसान संगठनों के रुख पर कोर्ट थोड़ा निराश नजर आया.


कानून के अमल पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कल ही यह संकेत दे दिए थे कि वह नए किसान कानूनों का अमल रोक देगा. कोर्ट ने कहा था कि वह बातचीत को लेकर एक सकारात्मक माहौल बनाना चाहता है. कोर्ट नहीं ऐसा ही किया. आज कमेटी के सदस्यों के नाम समेत आम नागरिकों के लिए रास्ता खाली करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होनी थी. लेकिन आंदोलनकारी संगठनों के वकील कोर्ट में पेश ही नहीं हुए.


आंदोलनकारियों के वकील नदारद
सोमवार को हुई सुनवाई में आंदोलनकारी संगठनों की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, एच एस फुल्का और कॉलिन गोंजाल्विस पेश हुए थे. कोर्ट ने उनसे कहा था कि वह उन्हें कानूनों पर रोक लगाने के पीछे उसकी भावना की जानकारी आंदोलनकारियों को दें. बातचीत को लेकर उनका रुख बताएं. कमेटी के सदस्यों के नामों पर सुझाव दें और आंदोलन से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को हटाने को लेकर भी संगठनों को समझाएं. इन वकीलों को आज कोर्ट जानकारी देनी थी कि किसान संगठन इस मसले पर क्या सोचते हैं. लेकिन यह चारों वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए.


संगठनों के रवैये पर टिप्पणी
किसान कानूनों के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले वकील एम एल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि उनकी कुछ संगठनों से बात हुई है. यह संगठन किसी कमेटी के सामने नहीं जाना चाहते हैं. उनका कहना है कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं किए जाते, तब तक वो आंदोलन करते रहेंगे. चीफ जस्टिस ने इस बात पर हल्की निराशा जताते हुए कहा, “हम सकारात्मक माहौल बनाना चाहते हैं. लेकिन क्या वाकई लोग समस्या का समाधान चाहते हैं या सिर्फ समस्या को बनाए रखना चाहते हैं?”


बनाई 4 लोगों की कमेटी
कोर्ट ने कमेटी के सदस्य के तौर पर 4 लोगों को शामिल किया है. यह लोग हैं- भारतीय किसान यूनियन नेता भूपिंदर सिंह मान, महाराष्ट्र के शेतकरी संगठन के नेता अनिल घनवटे, कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी और खाद्य नीति विशेषज्ञ प्रमोद जोशी. कोर्ट के आदेश के 4 मुख्य बिंदु हैं :-


* नए कानूनों के अमल पर रोक
* फिलहाल MSP व्यवस्था बनी रहे. ज़मीन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
* 4 सदस्यीय कमेटी 10 दिन में काम शुरू करे. इसके 2 महीने में रिपोर्ट दे
* अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद


ट्रैक्टर रैली पर नोटिस
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की उस अर्जी पर भी चर्चा हुई जिसमें गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को बाधित करने की धमकी की जानकारी दी गई है. पुलिस ने यह बताया है कि आंदोलनकारी संगठन 26 जनवरी के दिन 2 हज़ार ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुसने की धमकी दे रहे हैं. अर्जी में कहा गया है कि आंदोलन के नाम पर किसी को देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मसार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने आज इस अर्जी को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया और किसान संगठनों को नोटिस जारी कर दिया. मामले पर सोमवार को सुनवाई होगी.


भारत विरोधी संगठनों की सक्रियता
आज एक और याचिका के जरिए कोर्ट में यह बात भी रखी गई कि कई भारत विरोधी संगठन इस आंदोलन में घुस आए हैं. वरिष्ठ वकील पी एस नरसिम्हा ने कोर्ट को बताया कि कनाडा के वैंकूवर शहर का संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' भी आंदोलन में नजर आ रहा है. यह संगठन खालिस्तान की बात करता है. कई संदिग्ध घटनाओं में शामिल संगठन 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया' यानी PFI भी सक्रिय है. सुप्रीम कोर्ट ने इन बातों को चिंताजनक बताया. कोर्ट ने एटॉर्नी जनरल से कहा कि वह इस बारे में पुलिस और खुफिया एजेंसियों से जानकारी लेकर कोर्ट में हलफनामा दाखिल करें.


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