Farmer's Protest: किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को भी शांतिपूर्ण आंदोलन का हक है, लेकिन वह उचित जगह पर होना चाहिए. साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि इस मामले में समाधान खोजें. सुनिश्चित करें कि लोगों को आने-जाने में कोई दिक्कत न हो. 20 सितंबर को अगली सुनवाई होगी. 


सुनवाई की शुरुआत में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस ऋषिकेश मुखर्जी की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ''मिस्टर मेहता ये क्या हो रहा है. आप समाधान क्यों नहीं खोज सकते? आपको इस समस्या का समाधान तलाशना होगा. उन्हें विरोध करने का अधिकार है लेकिन निर्धारित स्थानों पर. विरोध के कारण यातायात की आवाजाही बाधित नहीं की जा सकती.''


पीठ ने कहा कि इससे टोल वसूली पर भी असर पड़ेगा क्योंकि अवरोध के कारण वाहन वहां से नहीं गुजर पाएंगे. अदालत नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में कहा गया है कि सड़क बंद होने की वजह से लोगों को भारी परेशानी हो रही है, सड़क को खोला जाना चाहिए. 


पीठ ने आदेश दिया, ''समाधान करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों की है. उन्हें एक समाधान खोजने के लिए समन्वय करना होगा ताकि किसी भी विरोध-प्रदर्शन के कारण सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जाए और यातायात बाधित नहीं हो, जिसके चलते आम लोगों को असुविधा नहीं हो.''


दिल्ली की सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले करीब 9 महीने से जारी है. हजारों किसान खासतौर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में डेरा डाले हैं. इनकी मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस ले और MSP पर कानून बनाए. 


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