मुंबई: कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध थमने के बजाय और तेज होता जा रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन को देश भर से समर्थन मिल रहा है. किसान आंदोलन एक विचारधारा का आंदोलन है जिसे बंदूक से खत्म नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से 9वें दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ. किसान बिल रद्द हो और आने वाले बिल नहीं लाया जाए. बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं.


किसान या तो जीतकर जाएगा या मरकर जाएगा
राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली के चारो तरफ 200 किलोमीटर दायरे में आंदोलन तेज है. आंदोलन दबाने की साजिश हुई तो 10 हजार की मौत होगी क्यों की किसान या तो जीतकर जाएगा या मरकर जाएगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हम गए नहीं. हमारा आंदोलन भारत सरकार के खिलाफ है. कोर्ट में हम गए नहीं बाहरी जो लोग आंदोलन में घुसेंगे उसे इंटेलिजेंस और हम भी पकड़ेंगे.


26 जनवरी को देश में टैंक और ट्रेक्टर एक साथ चलेंगे
संसद में जो सांसद हमारे विरोध में है उनका पोस्टर देश भर में और उनके संसदीय क्षेत्र में चिपकाया जाएगा. 26 जनवरी को देश में टैंक और ट्रेक्टर एक साथ चलेंगे. 2024 तक आंदोलन चलाना पड़े तो भी चलेगा. उन्होंने कहा कि असली सरकार कोई और है जो पीएम से झूठ बोलवाते हैं. असली सरकार से मिलने के लिए किसान दिल्ली के बॉर्डर पर है. उन्होंने कहा कि पीएमओ से गलत दस्तावेज़ जारी हो रहे है.स्वामीनाथन आयोग के सुझावों को लागू करने के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है.


राकेश टिकैत ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग क्रांतिकारी है. महाराष्ट्र में पोल खोल यात्रा निकालने की जिम्मेदारी का काम दिया गया है. देश भर में अलग-अलग राज्यो में 23 जनवरी को राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन दिया जाएगा. राज्य का एजेंडा सामने रखा जाएगा. महाराष्ट्र में प्याज, कपास, गन्ना, अंगूर की खेती में किसानों के नुकसान का मामला उठाया जाएगा.



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