Delhi Chalo March: किसानों के प्रदर्शन के बीच पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. मंगलवार (13 फरवरी, 2024) को कोर्ट की ओर से कहा गया कि ये लोग भारतीय नागरिक हैं. इन्हें भी देश में आजाद घूमने का अधिकार है. राज्य सरकारें ऐसे इलाके चिह्नित करें जहां ये लोग विरोध प्रदर्शन कर सकें.


किसानों के मार्च के मद्देनजर हरियाणा के कई जिलों में इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई थी और कुछ बॉर्डर भी सील कर दिए गए थे. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में इसी घटनाक्रम के एक दिन बाद याचिका दाखिल की गई.  


हाई कोर्ट ने इसी मामले में मंगलवार को सुझाव दिया कि अगर कोई प्रदर्शन या फिर आंदोलन होना है तब राज्य सरकारें उसके लिए एक जगह की पहचान करे. हाई कोर्ट ने नोटिस भी जारी किया था और उसमें पंजाब, हरियाणा और केंद्र की सरकार से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया था. हाई कोर्ट यह चाहता है कि सभी पक्ष बैठकर इस मसले पर शांति के साथ हल निकालें. 


किसानों को रोकने के लिए क्या किय़ा गया है?
फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने समेत अन्य मांगों को लेकर दो केंद्रीय नेताओं के साथ बैठक असफल रहने के बाद किसानों ने मंगलवार को दिल्ली की ओर कूच किया है. इसी को देखते हुए दिल्ली की तीन सीमाओं - सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर दंगा-रोधी वर्दी में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को अत्यधिक संख्या में तैनात किया गया है.


साथ ही दिल्ली पुलिस ने किसानों के मार्च के कारण एक महीने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू कर दी है, जिसमें पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने, जुलूस या रैलियों और लोगों को ले जाने वाली ट्रैक्टर ट्रॉलियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.


किसानों क्या मांग कर रहे हैं?
किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने, लखीमपुरी खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 बहाल करने और पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं. 


इनपुट भाषा से भी. 


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