Farmers Protest: किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को खोलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 43 किसान संगठनों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने इस मसले पर एक याचिका को सुनते हुए सॉलिसीटर जनरल से यह कहा था कि वह आंदोलनकारी संगठनों और नेताओं को पक्ष बनाने के लिए आवेदन दें. आज कोर्ट ने उस आवेदन पर नोटिस जारी कर दिया. हरियाणा सरकार की तरफ से दाखिल आवेदन में राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव और दर्शन पाल समेत कई नेताओं को पक्ष बनाया गया है. 20 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी.


क्या है मामला?


नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने इस मसले पर मार्च में याचिका दाखिल की थी. उन्होंने किसान आंदोलन के चलते कई महीने से बाधित दिल्ली और नोएडा के बीच यातायात का मसला उठाया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट को हरियाणा से लगी दिल्ली की कुछ और सीमाओं को भी किसान आंदोलनकारियों की तरफ से रोके जाने की जानकारी मिली. इस पर कोर्ट ने हरियाणा और यूपी को भी पक्ष बनाया लिया था. पिछले छह महीने से लंबित इस मामले में केंद्र, यूपी और हरियाणा सरकार ने हमेशा यही जवाब दिया कि वह आंदोलनकारियों को समझा-बुझा कर सड़क से हटाने की कोशिश कर रहे हैं.


आज क्या हुआ?


जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच की तरफ से पिछले हफ्ते दिए आदेश के मुताबिक हरियाणा सरकार ने आवेदन दाखिल किया. राज्य सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि 15 सितंबर को उसने आंदोलनकारियों से बात कर सड़क खाली करवाने के लिए एक कमेटी बनाई. 19 सितंबर को बातचीत की तारीख तय की और सबको आमंत्रित किया. लेकिन कोई भी नहीं आया. मेहता ने कहा कि अगर कोर्ट सीधे आंदोलनकारियों को हटाने का आदेश नहीं देना चाहता, तो कम से कम उनसे कहे कि वह कमिटी से बात करें. जजों ने इसके बाद सभी 43 संगठनों और नेताओं को नोटिस जारी कर दिया.



कोरोना से मौत के लिए 50 हज़ार रुपए मुआवजे को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंज़ूरी, आवेदन के 30 दिन के भीतर होगा भुगतान


Lakhimpur Kheri Violence: मृतक किसानों के परिजनों को 45 लाख-घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा, HC के रिटायर्ड जज करेंगे जांच