चार दिन से किसानों का आंदोलन चल रहा है. किसान दिल्ली कूच की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच ऐसी चर्चा हो रही है कि बड़े किसान यह खेल कर रहे हैं. ये बड़ी-बड़ी महंगी गाड़ियों में चलते हैं, जींस पहनते हैं, इनके पास बड़े ट्रैक्टर हैं, ये स्मार्टफोन और लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं. इस पर किसानों का कहना है कि लग्जरी लाइफ नहीं सिर पर लाखों का लोन है. उनका यह भी कहना है कि ऐसी बातें उनमें फूट डालने के लिए की जा रही हैं. किसान संयुक्त मोर्चा ने शुक्रवार (16 फरवरी, 2024) को भारत बंद का आह्वान किया है. पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर बैठे किसान दिल्ली कूच की जिद कर रहे हैं. इसके चलते बॉर्डर बंद कर दिए गए हैं. मंगलवार (13 फरवरी, 2024) से ये किसान बॉर्डर पर बैठे हैं. 


किसानों को दिल्ली में आने से रोकने के लिए शंभू और सिंघू बॉर्डर पर बैरिकेडिंग की गई और प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए. उधर, गोलों का असर कम करने के लिए किसानों ने भी गीली बोरियों, पानी के टैंकर, आसमान में पतंगबाजी औ गैस मास्क का इस्तेमाल किया. 


किसानों ने कहा, लग्जरी लाइफ नहीं सिर पर लाखों का लोन है
प्रदर्शन को लेकर चर्चा है कि यह बड़े किसानों का खेल चल रहा है. इस पर प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा, 'ये हमारे में फूट डालने के लिए कह रहे हैं. ऐसी कोई बात नहीं है. देखो हमारे ट्रैक्टर पर कितने लोन चल रहे हैं. 10-10 लाख रुपये का हमने लोन लिया हुआ है. वो सिर्फ ट्रैक्टर देखते हैं. हमें लोन लेने पड़ते हैं. हम इतने अमीर होते तो आत्महत्या क्यों करते.' गेंहूं और धान की एमएसपी पर सबसे ज्यादा खरीदी पंजाब में हो रही है और सबसे ज्यादा आवाज वहीं के किसान उठा रहे हैं? इसके जवाब में किसानों ने कहा, 'सबसे ज्यादा काम करना पड़ता है, हमें ज्यादा मरना पड़ता है. हम ज्यादा मर रहे हैं. हमें कनेक्शन बोर्ड लगाने पड़ते हैं सबकुछ इसलिए हमारे ऊपर सबसे ज्यादा लोन है.'  


वेंटिलेटर की तरह  है एमएसपी
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में स्थिति किसानों की ठीक है तो ये फसलें वहां थोड़ी सी खरीदी जा रही हैं. अगर यहां भी खरीद नहीं होती तो किसानों की हालत इससे भी  ज्यादा दयनीय होती. एक और किसान नेता ने कहा कि अब जो रेट मिलता है किसानों को एमएसपी का वो एक तरह का वेंटेलिटर है. वेंटिलेटर सिर्फ जिंदा रखने के लिए लगाया जाता है. अब अगर वेंटिलेटर को भी कमजोर कर देंगे तो फिर किसान जिंदा कैसे रह पाएगा. 


किसान एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसे लेकर सरकार का कहना है कि एमएसपी से सरकारी खजाने पर 17 लाख रुपये का खर्च बढ़ जाएगा. इस पर किसानों ने कहा कि सरकार ये नहीं देख रही कि जो एग्रीकल्चर के प्रोडक्ट्स हैं, उनको दरिया में तो फेंकेगी नहीं, उसको बेचेगी ही और उससे जो आय होगी वो इससे निकलेगी या नहीं निकलेगी. किसान नेता ने कहा कि अगर इनकी नियत साफ हो तो महंगाई बढ़ने की संभावना रत्ती भर भी नहीं.


किसानों ने कहा, पेस्टीसाइड में भी लूट
किसान नेता ने यह भी कहा कि हम जो पेस्टीसाइड ले रहे हैं. उस पर इतनी लूट है कि डिब्बे पर एमआरपी 800 रुपये प्रति लीटर लिखा होता है, लेकिन बिकता है 200 प्रति लीटर में. उसमें लूटने की इतनी गुंजाइश छोड़ी गई है. उन्होंने कहा कि जब 200 में बेचा जाता है तब भी उससे कमाई होती है. ये जो कॉरपोर्टरों के पक्ष में बातें जा रही हैं. उन पर अंकुश लग जाए. चीजें रियल रेट में मिलें.


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