जोधपुर: भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने शुक्रवार को तीन विवादास्पद केंद्रीय कृषि कानूनों में चार संशोधनों का प्रस्ताव देते हुए इसे 'किसान हितैषी' बनाने और उन आशंकाओं का समाधान करने का प्रस्ताव रखा, जिनके कारण इन कानूनों का विरोध हो रहा है. बीकेएस के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने कहा, "नए कानूनों को खत्म करने के बजाय जैसा कि कुछ संगठन मांग कर रहे हैं, हम इन कानूनों में चार संशोधनों का प्रस्ताव रखते हैं."


संशोधन ये हैं कि थोक बाजारों या बाहर में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे कोई खरीद नहीं होनी चाहिए, सभी व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन एक सरकारी पोर्टल पर किया जाना चाहिए, जिससे सभी तक पहुंचा जा सके. बैंक गारंटी के माध्यम से किसानों को निर्धारित समय में भुगतान किया जा सके और अपने गृहनगर में ही किसानों के विवादों के समाधान के लिए कृषि अधिकरणों की स्थापना की जा सके.


बीकेएस ने नए कानूनों का स्वागत करते हुए कहा था कि ये बहुप्रतीक्षित थे. चौधरी ने कहा कि संगठन लंबे समय से 'एक राष्ट्र-एक बाजार' के लिए जोर दे रहा था.


सीमाओं से किसानों को हटाने के लिए SC में याचिका दायर
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का पिछले 10 दिनों से दिल्ली से लगती हरियाणा और उत्तर प्रदेश की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच दिल्ली के एक निवासी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए किसानों को सड़कों से हटाने का निर्देश देने की मांग की है. याचिका में किसानों को सड़कों से तत्काल हटाने की मांग की गई है, क्योंकि इससे आपातकालीन/चिकित्सा सेवाएं बाधित हो रही हैं.


ऋषभ शर्मा ने अधिवक्ता ओमप्रकाश परिहार के माध्यम से अपनी दलील में कहा कि कोविड-19 के सामुदायिक प्रसार की आशंकाओं के मद्देनजर भी किसानों को उनके विरोध स्थलों से हटाना आवश्यक है. दलील में दिल्ली में कोविड-19 मामलों में तेजी से वृद्धि का हवाला भी दिया गया है. इसमें कहा गया है कि यह विरोध प्रदर्शन राजधानी के बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए विभिन्न राज्यों से अक्सर दिल्ली जाने वाले लोगों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न कर रहा है.


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