Congress Infighting Impact On Lok Sabha Elections: कर्नाटक में भले ही कांग्रेस विधानसभा चुनाव जीत चुकी हो, लेकिन मुख्यमंत्री को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हुई है. डीके शिवकुमार और दिग्गज नेता सिद्धारमैया के बीच कांग्रेस आलाकमान को फैसला लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, इस तरह की दिक्कत कांग्रेस के सामने केवल कर्नाटक में नहीं है बल्कि जिन प्रदेशों में पार्टी के अंदर दो-दो पावर सेंटर हैं वहां पार्टी हमेशा परेशानी में पड़ जाती है. 


इसमें राजस्थान का नाम सबसे पहले आता है. राज्य में बीते काफी समय से कांग्रेस के अंदर कुछ भी सही नहीं चल रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने एक दूसरे के खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा है. इस अंदरूनी कलह का फायदा बीजेपी आगामी चुनाव में उठा सकती है. इन दोनों की सियासी जंग की वजह से कांग्रेस आलाकमान भी परेशान हैं. 


कांग्रेस में इन राज्यों में अंदरूनी कलह 


इसके अलावा छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री के फ़ॉर्मूले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बनाम टीएस सिंहदेव, हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा बनाम कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कुमारी शैलजा के बीच सियासी तकरार जारी है.


वहीं, महाराष्ट्र में नाना पटोले बनाम बाला साहेब थोराट की सियासी रार किसी से छिपी नहीं है. ये सभी वो राज्य हैं, जहां आने वाले कुछ समय में विधानसभा चुनाव होने हैं. मध्य प्रदेश में भी पार्टी को गुटबाजी के कारण नुकसान झेलना पड़ा था. 


आपसी गुटबाजी से पंजाब में भी खोई थी सत्ता 


इन राज्यों में ही नहीं, पंजाब में भी अंदरूनी गुटबाजी के कारण कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था. तब कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू की गुटबाजी चरम पर थी. प्रदेश में पार्टी के अंदर दो-दो गुट बन चुके थे. इसका नतीजा ही था कि पंजाब से कांग्रेस साफ हो गई. अब अगर कांग्रेस सत्ता पर कायम रहने के बारे में सोच रही है तो उन्हें आपसी गुटबाजी को पूरी तरह से खत्म करना होगा. 



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