सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, भारत बायोटेक और फाइजर की तरफ से कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की आपात मंजूरी को लेकर दिए गए आवेदन पर बुधवार को सरकार की तरफ से गठित विशेषज्ञों के पैनल ने समीक्षा की.


सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से भारत में ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को दवा कंपनी एस्ट्रेजेनिका के साथ मिलकर ‘कोविशील्ड’ के नाम से तैयार की जा रही है. जबकि, भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की साझेदारी में तैयार ‘कोवैक्सीन’ बनाई जा रही है. इन दोनों ने पैनल के सामने वैक्सीन के डेटा का प्रजेंटेशन दिया. फाइजर ने अपने डेटा को प्रस्तुत करने के लिए और समय की मांग की है.


सरकार ने बयान में कहा कि डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है और पैनल एक बार फिर शुक्रवार (1 जनवरी) को बैठेगा.


जैसी ही एक्सपर्ट पैनल की तरफ से वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी, अंतिम मंजूरी के लिए आवेदन ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के सामने दिया जाएगा. सरकार चाहती है कि अगले महीने से कोरोना वैक्सीनेशन का काम शुरू हो जाए.


भारत कोरोना के मामले में दुनिया में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है. इनकी योजना है कि अगले छह से आठ महीनों के अंदर 30 करोड़ लोगों को कोरोना के टीके लगवा दिए जाएं और रियायती दरों पर ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन से काफी बड़ी उम्मीद है.


बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया अब तक ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के करीब पांच करोड़ डोज का उत्पादन कर चुकी है. सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि उसका लक्ष्य साल 2021 के मार्च महीने तक 10 करोड़ खुराक के उत्पादन का है. कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि अभी हमें इस टीके के आपात इस्तेमाल के मंजूरी का इंतजार है.


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