दिल्ली: कोरोना का पहला केस मार्च के महीने में सामने आया था. पहले केस से लेकर अब तक 6 लाख से ज्यादा मामले दिल्ली में सामने आ चुके है. कोरोना की तीसरी वेव खत्म हो चुकी है और धीरे-धीरे मामले भी कम हो रहे है.


लेकिन पर्यावरण कार्यों से जुड़ी संस्था टॉक्सिक लिंक की रिपोर्ट ने दिल्ली में कोविड बायोमेडिकल वेस्ट के मैनेजमेंट को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. टॉक्सिक लिंक की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से मार्च से लेकर सितंबर के बीच कुल 2,384 टन कोविड-19 वेस्ट अस्पतालों, हेल्थ केयर सेंटर, क्वारंटीन सेंटर और होम आइसोलेशन से निकला है.


टॉक्सिक लिंक की रिपोर्ट “कोविड वेस्ट: हाउ दिल्ली मैनेज्ड इट” के अनुसार, मार्च 2020 के बाद संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ कोविड वेस्ट पैदा होना शुरू हुआ. इसी के साथ कोविड वेस्ट भी मार्च में 33 टन से बढ़कर अप्रैल में 238 टन हो गया. यानी कि कोविड वेस्ट में 620% की बढ़ोतरी हुई.


टॉक्सिक लिंक की चीफ प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर प्रीति महेश ने बताया कि, “कोविड महामारी के दौरान एक समस्या जो सामने निकल कर आई है वो कोविड वेस्ट मटीरियल है. हमारी स्टडी से पता चला है कि दिल्ली में मार्च से लेकर सितंबर के महीने तक 2,348 टन कोविड वेस्ट पैदा हुआ है.” मार्च से अप्रैल की बात करें तो कोविड वेस्ट में करीब 620% का इजाफा था. जुलाई में इसका सबसे ज्यादा पीक 511 टन था. हालांकि उसके बाद इसमें कमी आई है और लगातार कमी आती जा रही है. इसकी एक वजह है कि जब CPCB (सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड) ने गाइडलाइंस जारी की और उसको फॉलो करना शुरू किया गया तो उसमें थोड़ी कमी आई है.


7 महीने में 2400 टन वेस्ट निकला है


रिपोर्ट के के मुताबिक दिल्ली की दोनों CBWTF (कॉमन बॉयो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट एंड डिस्पोजल फैसिलिटी) के आंकड़ों पर नजर डालने पर पता चलता है कि जनवरी और फरवरी में नियमित बायोमेडिकल वेस्ट पैदा हो रहा था. जबकि मार्च से सितंबर के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान नियमित बायोमेडिकल वेस्ट और कोविड वेस्ट निकला. दिल्ली में बायोमेडिकल वेस्ट में इस अवधि में खास बढ़ोतरी नहीं हुई.


प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर प्रीति महेश के मुताबिक दिल्ली में दो CBWTF है जो कि बायोमेडिकल बेस्ट का निवारण करती है. इन्हीं दोनों फैसिलिटी को ही कोविड-19 भी निवारण करना था. कोविड वेस्ट इतनी ज्यादा संख्या में निकलना CBWTF पर भार डाल रहा था. इसके साथ ही कचरे का सेग्रीगेशन ना होना भी एक बहुत बड़ी समस्या है. ये समस्या आम बायोमेडिकल वेस्ट को पृथक करने में भी है. जुलाई में जिस 511 टन कोविड वेस्ट का आंकड़ा सामने आया है या 7 महीने में 2400 टन वेस्ट निकला है, इसकी मात्रा इतनी ज्यादा इसलिए थी क्योंकि दिल्ली में पूरी तरह से सेग्रीगेशन नहीं किया गया. लोग जो कॉमन वेस्ट को कोविड वेस्ट के साथ ही मिला रहे थे.


गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी है- प्रीति महेश


प्रीति महेश का कहना है कि ज्यादा कोविड वेस्ट की मात्रा का मतलब है, ज्यादा रिस्क. दिल्ली में आज की तारीख में भी यह समस्या पूरी तरह से हल नहीं हुई है. हालांकि बायोमेडिकल वेस्ट की मात्रा में कमी आई है. लेकिन अस्पताल के स्तर पर बात करें या घर के स्तर पर बात करें तो आज की तारीख में भी लोग मास्क, PPE किट, कोविड मरीज का इस्तेमाल किया हुआ सामान यूं ही फेंक देते हैं. इससे संक्रमण फैल सकता है. इसका बचाव बहुत जरूरी है. लोग इसका निवारण ठीक से नहीं कर रहे हैं, जो लोग ऐसे सेक्टर में काम करते हैं जहां PPE किट का इस्तेमाल करना होता है वो भी कोविड वेस्ट के साथ बिना किसी सावधानी के डील करते हैं. इससे उनके लिए भी संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है.


प्रीति महेश के मुताबिक अभी पूरी तरह से यह समस्या नहीं सुधरी है. लोगों को अभी भी ट्रेनिंग देने की जरूरत है. जो लोग इसे डील कर रहे है उनको समझाने की जरूरत है कि जो वेस्ट निकलेगा उसके निवारण के लिए गाइडलाइंस का पालन करना जरूरी है. अभी बहुत बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन होने वाला है, और जरूरी है कि हम इसके लिए तैयार रहें. खास तौर पर अस्पतालों के स्तर पर इसके निवारण के लिए तैयारी जरूरी है.


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