नई दिल्ली: देश के अलग-अलग राज्यों से हॉस्पिटल्स में बिना इस्तेमाल के पड़े वेंटिलेटर्स को लेकर बीईएल के सीएमडी ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत की है. सीएमडी, एम वी गाओत्मा के मुताबिक, शुरुआत में कुछ राज्यों से सीवी-200 वेंटिलेटर्स में कुछ मोडिफिकेशन की मांग जरूर की गई थी, लेकिन उसे पूरा कर दिया गया था. जहां तक वेंटिलेटर्स के इंस्टालेशन की बात है वो भी बीईएल और एक चेन्नई की कंपनी की जिम्मेदारी है.  


सीएमडी एम वी गाओत्मा ने बताया कि अबतक 29,250 वेंटिलेटर्स को 1,822 हॉस्पिटल्स (755 शहरों) में लगा दिया गया है. इन सभी वेंटिलेटर्स को पीएम-केयर फंड से फंडिंग हुई थी. सीएमडी ने भरोसा दिलाया कि बीईएल केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य सरकारों और अस्पतालों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार है. यहां तक कि इन वेंटिलेटर्स को ऑपरेट करने के लिए बीईएल लगातार ऑनलाइन कोर्स भी चला रहा है. 


दरअसल, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) रक्षा मंत्रालय की डिफेंस पीएसयू यानि डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट है. नवरत्न कंपनी, बीईएल को पिछले साल यानि कोरोना की पहली लहर के दौरान यानि अप्रैल 2020 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने 30 हजार मेडिकल वेंटिलेटर बनाने का ऑर्डर दिया था. बीईएल ने अगस्त 2020 में रिकॉर्ड चार महीने में ही ये सारे वेंटिलेटर बनाकर तैयार कर लिए थे. करीब चार महीने के भीतर ही बीईएल ने डीआरडीओ की तकनीक और मैसूर की एक कंपनी के साथ मिलकर इन 30 हजार वेंटिलेटर बनाने का काम पूरा करने का दावा किया था. बीपीएल के इस काम में देश की कुछ दूसरी कंपनियों ने भी मदद की थी, जिसमें गोदरेज भी शामिल है. क्योंकि पिछले साल ट्रंप सरकार ने वेंटिलेटर्स के एक स्पेयर-पार्ट्स के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था. गाओत्मा के मुताबिक, बीईएल ने ऐसे समय में देश के लिए 30 हजार वेंटिलेटर्स बनाया, जब सभी देशों में वेंटिलेटर के निर्यात पर रोक लगा दी थी. 


जैसा कि नाम से विदित है, बीईएल की शुरुआत 50 के दशक में डिफेंस पीएसयू के तौर पर रक्षा मंत्रालय और देश की सेनाओं के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने के लिए की गई थी. पिछले सात-आठ दशक में बीईएल ने देश के सुरक्षा-कवच में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आकाश मिसाइल हो या फिर स्वाथि वैपन लोकेशन रडार सिस्टम या फिर युद्धपोत के सोनार या फाइटर जेट्स के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और सिम्युलेटर्स, ये सभी बीईएल ही तैयार करती है. एक तरह से देश के मॉर्डन वॉरफेयर सिस्टम में जितने भी हथियार, टैंक, तोप, लड़ाकू विमान और युद्धपोत में इस्तेमाल होने वाली हर इलेक्ट्रॉनिक तकनीक, बीईएल ही तैयार करती है.  


लेकिन वक्त के साथ-साथ बीईएल ने सिविलियन (असैनिक) टेक्नॉलजी में भी महारत हासिल की. यही वजह है कि देश में चुनावों के समय वोटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली ईवीएम यानि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन भी बीईएल ने ही तैयार की हैं. इसके अलावा ट्रैफिक-सिग्नल, फायर कंट्रोल सिस्टम और बायोमैट्रिक सिस्टम, ये सब भी बीईएल की ही देश को देन है.


बीईएल का बेंगलुरू में हेडक्वार्टर है और फिलहाल देशभर में आठ (08) प्लांट हैं. बेंगलुरू, गाजियाबाद, कोटद्वार (उत्तराखंड), पुणे, मछलीपट्टनम (तमिलनाडु), पंचकुला (हरियाणा), चेन्नई, हैदाराबाद और नवी-मुंबई. बीईएल का सालाना टर्न-ओवर करीब 13,500 करोड़ है. हर साल बीईएल रक्षा मंत्रालय को डिविडेंड के तौर पर करीब 350 करोड़ रुपये देती है. बीईएल ने कोविड की दूसरी लहर से लड़ने के लिए इसी साल अप्रैल के महीने में पीएम-केयर फंड में 5.45 करोड़ का योगदान भी दिया था, जबकि पिछले साल 10 करोड़ दिए थे. इसके अलावा कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसेबिलेटी (सीएसआर) के तहत बीईएल चार करोड़ की लागत के 12 मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट छह राज्यों के 12 अलग-अलग सरकारी अस्पतालों में लगाने का काम कर रही है.