नई दिल्ली: दुनिया भर में बरकरार कोविड के कहर और भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों से मचे हाहाकार के बीच इजराइल इस महामारी की रोकथाम के नए रोल मॉडल की तरह उभरा है. इजराइल दुनिया का पहला ऐसे देश है जिसने अपनी करीब 80 फीसद आबादी का टीकाकरण कर दिया है. 


ऐसे में स्थिति यह है कि भारत में जहां एक बार फिर लॉकडाउन लगाने के हालात बन रहे हैं वहीं इजराइल ने अपने यहां सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने की पाबंदियां हटा दी हैं. प्राइमरी और सेकेंड्री स्तर के स्कूल खोल दिए गए हैं. इजराइल ने किस तरह महज तीन महीने में हालात का यह टर्न अराउंड किया. इस मुद्दे पर एबीपी न्यूज संवाददाता प्रणय उपाध्याय ने बात की इजराइली स्वास्थ्य मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के निदेशक व नेशनल हेल्थ काउंसिल के सदस्य डॉ अशेर सालमन से. प्रस्तुत है इसी बातचीत के प्रमुख अंश-


सवाल- आखिर इजराइल ने कैसे अपने यहां तेजी से बढ़ते आंकड़ों की रफ्तार को थाम और आज दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी का टीकाकरण करने वाली मुल्क बना. नाटकीय बदलाव की इस कहानी के क्या राज हैं?


जवाब- जो कुछ हुआ उसका कोई सीक्रेट नहीं है. आंकड़े अपने आप बोलते हैं. इजराइल एक छोटा देश है. करीब तीन महीने पहले 90 लाख की आबादी वाले इजराइल में दस हजार प्रतिदिन के नए मामले आ रहे थे. वहीं अब यह आंकड़ा 100 केस प्रतिदिन पर आ गया है. इस अंतर की बड़ी वजह वैक्सीन अभियान है. 


इजराइल ने अपनी करीब 70-80 फीसद वयस्क आबदी का टीकाकरण कर दिया है. इसने जहां कोरोना के आंकड़ों को नाटकीय तरीके से कम करने में मदद दी. वहीं हम अब पूरे एहतियात के साथ धीमे-धीमे कई पाबंदियों को कम करने और स्थानों को खोलने की स्थिति में हैं.  हालांकि हम अभी भी राष्ट्रीय नियंत्रण सिस्टम के अधीन हैं क्योंकि यह महामारी खत्म नहीं हुई है. हमें मिलकर इसपर काबू करना है.


इजराइल का टीकाकरण अभियान एक राष्ट्रीय कार्ययोजना के तहत चलाया गया. केंद्र के स्तर पर उसका नियंत्रण किया गया. इसके अलावा इससे जुड़ी सभी पहलुओं के भागीदारों को हम एक टेबल पर लेकर आए. यानि इसके लिए आपको अस्पतालों की जरूरत है, सार्वजनिक हेल्थ सिस्टम की जरूरत है, पुलिस बल और सेना की आवश्यकता है, एम्बुलें, कम्यूनिटी सर्विस समेत सभी जरूरी हैं. सभी इसका हिस्सा हैं.  


बहुत बारीकी के साथ हर पहलू की प्लानिंग जरूरी है. खासतौर पर उस वैक्सीन के लिए जिसका हम इस्तेमाल कर रहे हैं.  क्योंकि फाइजर की वैक्सीन बहुत संवेदनशील है, उसकी शॉर्ट एक्सपाइरी है, तापमान का ध्यान रखना होता है आदि. 


इसके लिए आवश्यक है कि लोगों का पहले से रजिस्ट्रेशन हो. लोगों को बुलाकर भीड़ न लगवाई जाए. बल्कि उन्हें रजिस्टर कर एक-एक कर बुलाया जाए. लोग अपने कंप्यूटर या मोबाइल पर रजिस्टर कर सकें और अपॉइंटमेंट ले सकें टीके के लिए.


साथ ही उन इंतजामों को भी सुनिश्चित किया गया कि लोग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कोविड टीका केंद्र में कुछ देर ठहर सकें. ताकि टीका लगाने के बाद 15-20 मिनट तक उन्हें किसी एडवर्स इवेंट के लिए ऑब्जर्व किया जाए. कार्य योजने में सीरिंज और सुई तक की आपूर्ति का ध्यान रखा गया. 


इसके अलावा यदि किसी दिन के आखिर में यदि वैक्सीन बच जाते हैं तो जो लोग स्टैंडबाय पर रखे गए हैं उन्हें टीका लगाया जा सकता है. उसमें भी पुलिस, फायर ब्रिगेड, अनिवार्य सेवाओं से जुड़े लोगों को प्राथमिकता दी गई. 


साथ ही यह पूरी प्रक्रिया पेपरलैस तरीके से की गई. एक सेंट्रल आईटी सिस्टम में हर वैक्सीन और उसके हर एडवर्स इवेंट को नोट किया गया. एक सक्रिय मीडिया कैंम्पेन चलाया गया जिसके प्रभावस्वरूप लोगों को यह लगा कि वैक्सीन लगवाने में ही बेहतरी है. इजराइल एक छोटा देश है सो वहां हम यह सब कर पाए. 


सवाल- क्या इजराइल ने सतत रूप से टीकाकरण चलाया और इसमें किस तरह की रियायतें दी गईं?
जवाब- शुरुआत के दिनों में टीकाकरण कार्यक्रम को सात दिनों में 14 घंटे प्रतिदिन चलाया गया. हमने लोगों को भीड़ लगाने की इजाजत नहीं दी. लेकिन जो भी प्राथमिकता समूह के लोग थे उन्हें कतार में लगने पर और वैक्सीन उपलब्धता के आधार पर टीके लगाने की इजाजत दी गई. 


इजराइल में दो तरह के दस्तावेजों पर हम काम कर रहे हैं. एक है वैक्सीन सर्टिफिकेट. इसमें आपका नाम होगा और पासपोर्ट नंबर होगा जिसके आधार पर लोग अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कर सकेंगे. इसके अलावा हम घरेलू आवाजाही के लिए ग्रीन पास दे रहे हैं. जिसके आधार पर आप रेस्त्रां, होटलों, कंसर्ट, स्वीमिंग पूल, जिम आदि सार्वजनिक स्थानों, आदि में जा सकते हैं. यह ग्रीन पास केवल कागज का टुकड़ा नहीं है बल्कि इसमें आपका मोबाइल नंबर और बारकोड भी है. दाखिले के लिए उसे स्कैन किया जाएगा और रेड या ग्रीन संकेत के साथ साफ हो होगा कि आपको दाखिला मिलेगा या नहीं. यह ग्रीन पास उन लोगों के लिए उपलब्ध होगा जिनको टीके के दो डोज लग चुके हैं या बीमारी से ठीक हो चुके हैं. 


सवाल- हाल ही में इजराइल से भारतीय स्ट्रेन को लेकर उठी चिंताओं की खबरें आई. इस बारे में क्या कदम उठाए जा रहे हैं? 
जवाब- बीते एक हफ्ते से यह हमारी बड़ी चिंता है. हमने यूके, ब्राजीलियन स्ट्रेन देखा है और अब इंडियन स्ट्रेन सामने आया है. बड़ी संख्या में भारत से लोग इजराइल आए हैं और उनमें कई कई लोग जिन्हें वैक्सीन लग चुका है वो भी वायरस के साथ पहुंचे हैं. यह बड़ी चिंता है. 


हम अंतराष्ट्रीय आवाजाही पर नियंत्रण लगाने जा रहे हैं. बीते कुछ हफ्तों के दौरान हम काफी रियायत दे रहे थे लेकिन अब उसे बंद करने जा रहे हैं. लोगों को क्वारंटीन करना होगा. लोग जिन्हें विदेशों में वैक्सीन लग चुका है उन्हें भी क्वारंटीन कर आरटीपीसीआर टेस्ट कराना होगा.


वहीं अगर वैक्सीन नहीं लगा है तो कम से कम 10 दिन क्वारंटीन कर अपना टेस्ट कराना होगा. बीते कुछ समय के दौरान काफी भारतीय छात्र, कारोबारी, कामगार, पेशेवर कामकाज के सिलसिले में इजराइल आए हैं. सो हमे लगता है कि इस वक्त उन्हें भी क्वारंटीन किया जा रहा है. 


सवाल- क्या आप भारत से आए लोगों को आइसोलेट होने के लिए कह रहे हैं?
जवाब- हर वो व्यक्ति जिसको टीका नहीं लगा है उसे आइसोलेट करना होगा. वहीं विदेशों में ठीक हुए या वैक्सीनेट हुए लोगों को भी आइसोलेट कर कोरोना नेगेटिव प्रमाणित करना होगा. 


सवाल- क्या भारत से इजराइल में कामकाज के लिए आने वाले लोग भी इजराइली टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा बनाए जा रहे हैं?
जवाब- जी हां. भारत से पढ़ाई या कामकाज के लिए इजराइल आने वाले लोगों को टीका लगाया जा रहा है. हर वो व्यक्ति जो इजराइल में करीब एक साल रहने वाला है उसे टीका लगाने की पात्रता है और यह निःशुल्क है. 


सवाल- ऐसे में जबकि हर देश अलग अलग तरीके के टीके लगा रहा है. WHO भी यूनिवर्सल इंफ्लुएंजा वैक्सीन की बात कर रहा है. क्या इजलाइल ने बूस्टर डोज या वैक्सीन कॉम्बिनेशन के बारे में सोचा है ताकि संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके?


जवाब- यह सब महत्वपूर्ण सवाल हैं. लेकिन हमारे पास इनके जवाब अभी नहीं है. सभी लोग अलग अलग तरीके की रणनीति पर विचार कर रही हैं. जिसमें दो या उससे अधिक वैक्सीन कॉम्बिनेशन भी शामिल है. लेकिन यह निर्भर करता है कि वैक्सीन निर्माता कंपनियां यदि अपने टीकों में कोई बदलाव करती हैं. क्योंकि यह वायरस म्यूटेट होता है. उसके हजारों में म्यूटेशन होते हैं जिनपर ध्यान देने की जरूरत नहीं लेकिन कुछ म्यूटेंट स्ट्रेन चिंता का सबब भी बन सकते हैं और टीकों को धता बता सकते हैं. 


हालांकि अभी तक हमारी बूस्टर शॉट देने की कोई योजना नहीं है. क्योंकि छह महीने तक इसका असर काफी प्रभावी है. लेकिन देखना होगा कि क्या यह हमारे सालाना अथवा अनिवार्य वैक्सीन कार्यक्रम का हिस्सा बनता है. इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों और अन्य देशों के साथ तालमेल के आधार पर ही काम किया जा सकता है. 


सवाल- भारत और इजराइल के बीच बहुत गहरी साझेदारी है. क्या मौजूदा समय में इजराल ने भारत को कोई तकनीकी मदद का प्रस्ताव दिया है?
जवाब-
इजराइल एक छोटा देश है. भारत की तुलना में काफी छोटा है. लेकिन फिर भी हम अपनी तरफ से जो भी मदद बढ़ा सकते हैं उसे बढ़ा रहे हैं. ऑक्सीजन आपूर्ति और दवाओं की जरूरत के मामले हमारे सामने आए. हम निश्चित रूप से अपनी मदद भारत को जल्द भेज रहे हैं. 


हमें भारत से कुछ चीजों के लिए आग्रह मिला. हम उन्हें पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. हमने पहली वेव के वक्त भी सहायता दी थी और अब भी भारत की मदद करेंगे. इसके साथ ही हम अपने अनुभव भी साझा कर रहे हैं. क्योंकि एक समय था जब इजराइल में इस बीमारी का प्रकोप भारत से ज्यादा था. आज भारत में इसका प्रभाव ज्यादा है. लेकिन इस महामारी में हम मिलकर लड़ रहे हैं. भारत और इजराइल की दोस्ती इसमें भी प्रभावी साबित होगी और हम एक-दूसरे के लिए खड़े होंगे.